लोकनृत्य और गीतों के जुगलबंदी पर झूमे श्रोता
लोकनृत्य और गीतों के जुगलबंदी पर झूमे श्रोता
13 दिवसीय दीपावली शिल्प मेला में मैदानी कलाकार हैं आकर्षण का केन्द्र
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में लगे दीपावली शिल्प मेले में मंगलवाल की शाम लोकगीत, सुगम संगीत एवं भरत नाट्यम के नाम रही। कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी। मुक्ता काशी मंच पर गीत एवं लोकनृत्य की मोहक प्रस्तुतियां दर्शकों को मुग्ध करती रही। बडी संख्या में लोगों ने खरीददारी के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया। कार्यक्रम की शुरूआत आजमगढ़ से पधारे महेन्द्र यादव एवं दल ने कहरवा लोकनृत्य की अनुपम छटा बिखेर कर खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद श्याम लाल प्रजापति ने सोने कै चिरैया का हिन्द कै धरतियां, सेवरी सोचै अपने मनवा की प्रस्तुति देकर तालियां बटोरी। बिहार से पधारी शैला कुणाल ने कजरी गीत भिजत आवै धनिया ये रामा, रूनू झूनु हो की प्रस्तुति दी। उर्वशी जेटली ने भरतनाट्यम की शानदार प्रस्तुति से प्राचीन नृत्य विधा की अनुभूति करा दी। रंजीत कुमार गुप्ता ने आंचलिक गीत सुनाकर श्रोताओं से वाहवाही पाई।
मनोरंजन के साथ खरीददारी का लुफ्त उठा रहे हैं लोग- देश के कोने- कोने से आए शिल्पकार भी अपने उत्पादों से लोगों को खूब लुभा रहे हैं। लखनऊ का चिकन, पर्ल ज्वेलरी, लकडी के खिलौने, गुजराती बैग, मोदी जैकेट, हैण्ड प्रिंटिंग की लोग जमकर खरीददारी कर रहे हैं।