इंडिया गठबंधन में दरार या प्रयागराज के कांग्रेसियों ने शुरू किया विद्रोह ?
इंडिया गठबंधन में दरार या प्रयागराज के कांग्रेसियों ने शुरू किया विद्रोह ?
काँग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष (गंगापार) ने चुपके से किया नामांकन, दो दिन पूर्व युवा नेता जितेश मिश्रा भी ले चुके है नामांकन पत्र
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस सपा इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का फैसला लिया जिसको लेकर सपा नेता अखिलेश यादव व कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर इस बात की जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश के होने वाले सभी नौ विधानसभा के उपचुनाव में साइकिल के निशान पर ही चुनाव लड़ा जाएगा बावजूद इसके प्रयागराज में कांग्रेसियों ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ जाकर बिगुल फूंक दिया है कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष गंगा पार सुरेश चंद्र यादव ने गुरुवार चुपके से नामांकन दाखिल करने की घटना ने राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। जिला अध्यक्ष चुपके से नामांकन के बाद मीडिया में बता रहे हैं कि शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे जबकि चुनाव आयोग द्वारा जारी लिस्ट में गुरुवार को ही सुरेश चंद यादव के नामांकन की पुष्टि हो गई है।
इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी के भीतर असंतोष और ‘इंडिया’ गठबंधन से नाता तोड़ने की अटकलों को भी बल मिला है। इस नामांकन ने न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष (गंगापार) ने पार्टी की आधिकारिक अनुमति के बिना अपना नामांकन दाखिल किया है। यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व गठबंधन की मजबूती और एकजुटता के लिए प्रतिबद्ध है। जिला अध्यक्ष के इस कदम को पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग माना जा रहा है और इसे गठबंधन विरोधी रुख के रूप में देखा जा रहा है।
दो दिन पूर्व कांग्रेस के युवा नेता जितेश मिश्रा द्वारा भी नामांकन पत्र लेने की खबरें आई थीं। उनके इस कदम को भी पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष और शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। मिश्रा का यह कदम जिला अध्यक्ष के गुपचुप नामांकन के साथ ही पार्टी के भीतर चल रही दरार को और गहरा कर सकता है।
इन घटनाओं ने कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता का प्रतीक माना जाता है, इन आंतरिक विवादों के कारण कमजोर हो सकता है। प्रयागराज के कांग्रेसी नेताओं द्वारा उठाए गए कदमों को गठबंधन से अलगाव की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी इन नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। यह देखा जाना बाकी है कि पार्टी की कार्रवाई इन नेताओं के विद्रोही रुख को शांत कर पाएगी या नहीं।
प्रयागराज में कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में मचा यह घमासान केवल स्थानीय स्तर पर सीमित नहीं रहेगा। इसका असर उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों और संभवतः राष्ट्रीय स्तर पर भी पड़ सकता है। यदि पार्टी इन मुद्दों को सुलझाने में विफल रहती है, तो यह ‘इंडिया’ गठबंधन की एकता पर गंभीर खतरा बन सकता है।
इन घटनाओं से साफ है कि कांग्रेस के भीतर का असंतोष और नेताओं के बगावती रुख पार्टी के लिए एक चुनौती बन सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस संकट का समाधान कैसे करती है और क्या ‘इंडिया’ गठबंधन को बचाने में कामयाब हो पाती है या इन बगावती नेताओ पर कार्रवाई करती है?