माघ मेला जुटे नर नारी, अइले प्रयाग नगरी
माघ मेला जुटे नर नारी, अइले प्रयाग नगरी
एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्तगत एनसीडेजसीसी द्वारा आयोजित चलो मन गंगा यमुना तीर कार्यक्रम में शुक्रकार को जमकर भीड़ उमड़ी।
कलाकारों ने लोकगीत और लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर समां बंधा।
इस उत्सव के पांचवे दिन लोक कलाकारों ने जमकर रंग जमाया।
उत्तर प्रदेश के लोकगीत बिरहा की गूंज मची तो झिझिया और छपेली की थिरकन पर संगीत प्रेमी झूमने पर मजबूर हो गए। विमला वोरा ने उत्तराखंड का झोड़ा चाचरी एवं पल्लवी किशन ने उज्जैन का मालवी नृत्य से सांस्कृतिक पंडाल को लोकरंग में रंगा। साकार कलाकृति ने जट- जटिन नृत्य कर सराहना बटोरी। बलिया से पधारे राम कृपाल यादव ने हक में “काल बली के बड़े-बड़े लड़वईया चल गए अर्जुन पांचों भईया” तथा “केवनी नगरिया हरि मोर” आंचलिक लोकगीतों पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई। “माघ मेला जुटे नर नारी, अइले प्रयाग नगरी” व “डोलल बसन्ती बयरिया, सखी सरसों फूलाइल” की प्रस्तुति पर श्रोताओं ने तालियां बजाकर इस लोकगीत का अभिवादन किया। दीपेश कुमार एवं दल ने हनुमान विवाह, रामायण प्रसंग पर आधारित एवं विभव शंकर ने “माइ तोहरे बिन जग.. बिरहा गायन पेश कर दर्शकों को भक्ति रस से सराबोर किया। इस कार्यक्रम को एकसूत्र में पिरोने का काम मंच संचालिका प्रीती मिश्रा ने किया।