“लागल गंगा जी के मेला छोड़ा घरवा क झमेला” पर खूब बजी तालियां 10 दिवसीय चलो मन गंगा यमुना तीर का हुआ शुभारंभ
“लागल गंगा जी के मेला छोड़ा घरवा क झमेला” पर खूब बजी तालियां
10 दिवसीय चलो मन गंगा यमुना तीर का हुआ शुभारंभ
जगमगाती रौशनी में गंगा-यमुना के तट पर उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का बना भव्य पंडाल सांस्कृकित कार्यक्रमों से गूंज रहा था। धामाकेदार संगीत पर गायन,वादन और नृत्यों का अनोखा संगम यह सब दिखा सोमवार को चलो मन गंगा यमुना तीर में। एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित दस दिवसीय चलो मन गंगा यमुना तीर का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री शाम देव, प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा, पेंशन) ने भगवान गणेश की मूर्ति पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवित करके किया। सहायक निदेशक सुरेंद्र कश्यप ने बुके भेंट कर उनका स्वागत किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज विपिन मिश्रा एवं दल ने गणेश वंदना तथा यजुर्वेद की ऋचाएं लिंगाष्टकम व माहेश्वर सूत्र से किया। इसके बाद मुक्ति शर्मा ने “एही पार गंगा, ओही पार यमुना”, “सजा दो घर को गुलशन सा” तथा “राम जी से पूछे जनकपुर के नारी”, “राम गुण गायो नहीं आय करके” भजन की प्रस्तुति देकर पूरे पंडाल को राममय कर दिया। किशोर चतुर्वेदी एवं स्वाती ने युगल में “गंगा तोरी लहर सबही के मन भाए” व “अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम” पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उदय चन्द्र परदेशी ने “देखा माघ महातम आय जियरा लहालोट होई जाय”, “लागल गंगा जी के मेला छोड़ा घरवा क झमेला” को पेश कर खूब वाहवाही बटोरी। राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा और पोशाक सुसज्जित सुरमनाथ एवं दल ने घूमर, कालबेलिया तथा भवई लोकनृत्य के सुर ताल के अद्भुत संगम की प्रस्तुति देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। संदीप यादव व साथी कलाकारों ने हरियाणा के लोकनृत्य प्रस्तुत कर पंडाल में बैठे लोगों को अपना दीवाना बनाया। “गजानन हमारे घर है पधारे”, “आज भवा राम के जन्मवा जन्मवा सुफल होई गयी” ,”राम राम रटवे हम सगरी उमरिया कभु तो आई है राम हमरी डगरिया” की प्रस्तुति संगीता आहूजा एवं साथी कलाकारों ने देकर खूब तालियां बटोरी। स्वागता शर्मा एवं दल ने बिहू नृत्य से असम संस्कृति की झलक दिखाई। इस लोकनृत्य को देखकर दर्शक गदगद हो उठे। कार्यक्रम का संचालन डॉ आभा मधुर ने किया।