December 4, 2024

आदर्श गुणों के कारण दिलों में समाए हैं राम— प्रोफेसर सीमा सिंह

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आदर्श गुणों के कारण दिलों में समाए हैं राम— प्रोफेसर सीमा सिंह

राष्ट्रनायक श्री राम पर मुक्त विश्वविद्यालय में संगोष्ठी एवं सुंदर काण्ड का आयोजन

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज की व्यावसायिक अध्ययन विद्या शाखा के तत्वावधान में मंगलवार को गंगा परिसर में हनुमान मंदिर के समीप मुक्तांगन में सामाजिक समरसता और राष्ट्र नायक श्री राम विषय पर संगोष्ठी एवं सुंदरकांड का आयोजन किया गया।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि श्री राम प्रकृति के साथ भी समरस थे। वन में निवास करते हुए 14 वर्ष तक प्रकृति की गोद में रहे। जहां पशु पक्षी वनस्पति आदि से उनके साक्षात्कार होते रहते थे। उन्होंने सत्य, दया, करुणा, धर्म और मर्यादा के मार्ग का अनुसरण करते हुए संसार के सामने विनम्रता, धैर्य, मर्यादा और पराक्रम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि भगवान श्री राम अपने आदर्श गुणों की वजह से जनमानस के दिलों में समाए हुए हैं। उन्होंने समाज को सशक्त बनाने के लिए उच्च स्तर की नैतिकता का अनुसरण किया। श्री राम के जीवन का अनुसरण हमें सच्ची मानवता के मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है।
मुख्य वक्ता डॉ आर बी लाल श्रीवास्तव, सी एम पी डिग्री कॉलेज, प्रयागराज ने कहा कि भगवान राम का संदेश समरसता का संदेश है। सामाजिक समरसता आत्म विश्लेषण और व्यवहार परिवर्तन का विषय है। भगवान राम त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने राजपाट छोड़ दिया। हमें राम के पदचिन्हों पर चलकर फैसले लेने पड़ेंगे। अपने जीवन से मोह और लालच को छोड़ना पड़ेगा। भगवान राम का मन बहुत विशाल था। वह अपने सामने वाले के भाव को पढ़ लेते थे। डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को लेकर पूरे देश में जश्न का माहौल है। राम और राष्ट्र आज पर्यायवाची हो चुके हैं। भगवान राम में पूरे समाज का विश्वास है। राम का जीवन धर्म आधारित जीवन था जो उन्होंने कर्तव्य के अनुरूप जिया। हमें हर व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए यह श्री राम के जीवन से सीखने को मिलता है।
मानविकी विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने कहा कि श्री राम ने लोक मंगल की अवधारणा तैयार की। उन्होंने कहा राम जी का व्यक्तित्व अलौकिक है। सामाजिक समरसता उनके जीवन दर्शन में परिलक्षित होती है। प्रारम्भ में व्यावसायिक अध्ययन विद्या शाखा के प्रभारी प्रोफेसर छत्रसाल सिंह ने संगोष्ठी के रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी का संचालन डॉ बाल गोविंद सिंह ने तथा कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके उपरांत गंगा परिसर में स्थित हनुमान मंदिर में सुंदरकांड का पाठ किया गया तत्पश्चात समरसता भोज का आयोजन किया गया।

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