घूमर,चरी नृत्य में सुर और ताल के अनोखे संगम ने सबको बनाया दीवाना, कलाकारों साथ झूमे दर्शक, एक मंच पर दिखी भारतीय संस्कृति की सुन्दर झलक
घूमर,चरी नृत्य में सुर और ताल के अनोखे संगम ने सबको बनाया दीवाना, कलाकारों साथ झूमे दर्शक, एक मंच पर दिखी भारतीय संस्कृति की सुन्दर झलक
प्रयागराज। जगमगाती रौशनी में लोकनृत्य और संगीत से सांस्कृतिक केन्द्र का मुक्ताकाशी मंच गूंज रहा था। सुरीली आवाज में गाते कलाकार तो घूमर, चरी, चकरी नृत्य की जुगलबंदी के साथ नटवरी नृत्य से सजा शिल्प मेला में चार चांद लगा रहे हैं।
इस खास दिन को यादगार बनाने के लिए हर कोई इसे कैमरे में कैद करना चाह रहा था। उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्य के साथ राजस्थानी घूमर, चरी, चकरी नृत्य में सुर और ताल के अनोखे संगम की प्रस्तुति देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित दीपावली शिल्प मेले दसवें दिन यानी रविवार को निर्भय दास एवं दल ने माटी में “माटी मिले, पानी में पानी प्रभु के भजन करिलै”, “सुन मेरे मितवा, कबहू बसेव जानि” की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम का आगाज निर्गुण गायन से करते हैं। इसके बाद हरे राम द्विवेदी “प्यार का पहला ख़त लिखने में वक्त तो लगता है” और “इस तरह मुहब्बत की शुरुआत कीजिए” पेश कर खूब तालियां बटोरी। उर्मिला शर्मा एवं दल ने नृत्य नाटिका अग्नि – सुता – द्रौपदी के रूप में कथक नृत्य की प्रस्तुति देकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों मे रंग भर दिया। अशोक एवं दल ने नटवरी नृत्य की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी। राजस्थान से पधारे रूप सिंह एवं दल ने पारंपरिक लोकनृत्य चकरी, चरी और घूमर नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
बिरहा प्रतियोगिता का आयोजन- केंद्र द्वारा आगामी कार्यक्रमों के लिए तीन दिवसीय बिरहा प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने बताया कि प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित कलाकारों को केंद्र द्वारा आयोजित एवं प्रयोजित प्रोग्रामों में प्रस्तुति हेतु भेजा जाएगा।