हरिहरण द्वारा शिव और हरी नाम का गुंजन पूरे पण्डाल में गूंजता रहा। श्रोताओं ने लगाए ॐ नमः शिवाय तथा जय श्री राम के नारे
सुधा रघुनाथन के शिव स्तुति से शिवमय हुआ मंच
गंगा पण्डाल आज दिनांक 10 फरवरी को राग और स्वरों के समिश्रण से गुंजायमान हुआ। सबसे पहले गुरु मुत्तुस्वामी पिल्लई पुरस्कार से सम्मानित नाट्यकलावर्दिनी युवा भरतनाट्यम कलाकार कृपा रवि ने नाट्यमंचन से मंच की शोभा बढ़ाया। देश विदेश के विभिन्न मंचों सहित हम्पी महोत्सव, राजभवन, गुजरात, कुम्भकोणम जैसे स्थानों पर अपनी प्रतिभा बिखेर चुकी तथा पद्मश्री आनंदा शंकर जयंत तथा श्रीमती डॉली देसाई, श्रीमती जयालक्ष्मी ईश्वर की शिष्या कृपा रवि ने आज माता दुर्गा को दर्शाते हुए वर्णम प्रस्तुत किया, जिसमे अभिनय एवं नृत्य का समिश्रण स्वरूप होता है। अगले कार्यक्रम में डॉ० राजलक्ष्मी श्रीनिवासन की पुत्री एवं शिष्या डॉ० जयंती एस रवि ने संकीर्तन प्रस्तुत किया। उन्होंने भक्ति रस में भारत की दस भाषाओं संस्कृत, हिंदी, गुरुमुखी, बंगाली, मलयालम, तमिल, कन्नड़, तेलगु, गुजराती, मराठी में एक एक गीत प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति भारतीय संगीत में अपनी गायिकी से विशेष स्थान बनाने वाले पार्श्व गायक एवं गजल गायक पद्मश्री हरिहरन ने अपने सुपरिचित श्रेष्ठ भजनों से श्रोताओं को मोहित कर दिया। ए आर रहमान तथा मणिरत्नम के साथ उन्होंने भारतीय संगीत को बेहद खूबसूरत गाने दिए हैं। तू ही रे, जैसे सुप्रसिद्ध गाने को अपनी सुमधुर स्वरबद्ध किया। बॉर्डर फ़िल्म में “मेरे दुश्मन मेरे भाई” के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। इन्हें मराठी गाने जीव रंगला के लिए भी सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। आज कार्यक्रम की शुरुआत “सुबह सुबह ले शिव का नाम” से की जिसे श्रोताओं ने तालियों से स्वागत किया। उसके बाद उनके द्वारा श्री राम को समर्पित एक सुमधुर भजन “सब ने तुम्हे पुकारा श्री राम जी” प्रस्तुत किया। माता भगवती को समर्पित एक गीत प्रस्तुत किया। हरिहरन जी का भगवान बजरंग बली के लिए गाया हनुमान चालीसा को दर्शकों का जोरदार अभिवादन मिला। श्रोताओं ने उनके साथ चालीसा का गान किया। मेरा श्याम तू, शिव शंकर को जिसने पूजा, श्री कृष्णा गोविंद शरणं जैसे सुमधुर भजनों को एक के बाद एक गायकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत मे उन्होंने अपने सुमधुर पार्श्व गीत तू ही रे को हिंदी और तमिल भाषाओं ने गुनगुनाया जिसमे दर्शको ने गाकर उनका साथ दिया। दर्शकों द्वारा उन्हें एक झलक देखने व उन्हें सुनने की होड़ लगी रही।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में पद्मभूषण, पद्मश्री व संगीत नाटक अकादमी तथा संगीत कलानिधि जैसे पुरस्कारों से सम्मानित भारतीय शास्त्रीय संगीत की गायिका सुश्री सुधा रघुनाथन ने अपनी गायिकी से सभी को मोहा। यूनाइटेड नेशन जैसे प्रतिष्ठित स्थानों में अपनी कला का परिचय दे चुकीं सुश्री सुधा रंगनाथन ने आज राग हमस ध्वनि में वातापि प्रस्तुत किया। उसके बाद शिव स्तुति के लिए निर्वाणतक प्रस्तुत किया। शिव जी स्तुति करते हुए शंभू शंकरा प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में उड़ीसा महरिया पुरस्कार से सम्मानित ओडिसी नृत्यांगना शुभदा वराडकर ने ओडिसी नृत्य शैली में गंगा माँ को समर्पित पकिअमृत लहरी “जय गंगे भगीरथे” प्रस्तुत किया। उसके बाद उन्होंने राग जगसम्मोहिनी में शुद्ध नृत्य “पल्लवी” किया। कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में उन्होंने आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तुति को प्रदर्शित किया।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में मथुरा के कलाकार डॉ० स्वामी देवकीनंदन शर्मा ने रास तथा श्रीकृष्ण के सगाई तथा लट्ठ मार तथा फूलों की होली दिखाकर पण्डाल को कृष्णमय कर दिया।
कार्यक्रम के अंत मे संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी डॉ० सुभाष यादव एवं कार्यक्रम अधिषासी श्री कमलेश कुमार पाठक ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र, प्रमाण पत्र तथा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का मंच संचालय सुप्रसिद्ध वॉइस ओवर आर्टिस्ट अमित मिश्रा ने किया।