गंभीर अपराधों को छोड़ कोई भी न्यायिक अधिकारी व्यक्तिगत हैसियत से नहीं दर्ज़ कराए मुक़दमा-हाईकोर्ट
गंभीर अपराधों को छोड़ कोई भी न्यायिक अधिकारी व्यक्तिगत हैसियत से नहीं दर्ज़ कराए मुक़दमा-हाईकोर्ट
बिजली विभाग के अधिकारियों पर सीजेएम का दर्ज़ कराया मुक़दमा रद्द , हाईकोर्ट ने बांदा के पूर्व सीजेएम की कड़े शब्दों में की निंदा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांदा में नियुक्त रहे सीजीएम डॉक्टर भगवान दास गुप्ता द्वारा बिजली विभाग के अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की कड़े शब्दों में निंदा की है। कोर्ट ने कहा कि सीजेएम ने अपने पद और हैसियत का निजी हितों की पूर्ति के लिए उपयोग किया। कोर्ट ने बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ बांदा कोतवाली में सीजेएम द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे को रद्द कर दिया है।
अदालत ने प्रदेश के सभी न्यायिक अधिकारियों को हिदायत दी है कि कोई भी न्यायिक अधिकारी सिवाय गंभीर प्रकृति के अपराधों हत्या, रेप, दहेज हत्या, यौन अपराध, डकैती आदि को छोड़कर व्यक्तिगत रूप से प्राथमिकी न दर्ज कराएं ।यदि कोई अधिकारी निजी हैसियत से प्राथमिकी दर्ज करना चाहता है तो वह पहले संबंधित जिला जज को विश्वास में ले तब प्राथमिकी दर्ज कराए ।
बिजली विभाग लखनऊ खंड के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मनोज कुमार गुप्ता और अन्य अधिकारियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने दिया है।
मामले के अनुसार भगवान दास ने लखनऊ में वंदना पाठक से वर्ष 2009 में सीतापुर योजना में एक आवासीय भवन खरीदा । इस मकान का बिजली का कनेक्शन वंदना पाठक के नाम पर था। जिसे अपने नाम से करने के लिए उन्होंने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम अलीगंज सब स्टेशन में प्रार्थना पत्र दिया। इस पर एसडीओ अलीगंज ने बताया कि उक्त कनेक्शन पर 1,66, 916 रुपए का बिल बकाया है ।बिल चुकता करने के बाद ही कनेक्शन दिया जा सकता है। जिस पर भगवान दास ने वंदना पाठक उनके पति अतुल पाठक, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मनोज कुमार गुप्ता, सब डिविजनल ऑफीसर दीपेंद्र सिंह सहित बिजली विभाग के अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ लखनऊ की एसीजेएम कोर्ट में धोखाधड़ी, दस्तावेजों में हेरा फेरी आदि की धाराओं में शिकायती परिवार दर्ज कराया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह परिवाद खारिज हो गया। इसके बाद भगवानदास ने बांदा के सीजीएम पद पर रहते हुए बांदा में उपरोक्त अधिकारियों के खिलाफ 27 जुलाई 2023 को धोखाधड़ी, फ्रॉड दस्तावेजों में हेर फेर का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कर दिया ।इस मुकदमे को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत के सहयोग के लिए बिजली विभाग के स्थाई अधिवक्ता बालेश्वर चतुर्वेदी को न्याय मित्र नियुक्त किया। प्रदेश सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम घनश्याम कुमार ने भी पक्ष रखा।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि स्पष्ट है कि भगवान दास उन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा कायम करवाने का भरपूर प्रयास कर रहे थे जो अपने सरकारी कार्य का निर्वहन कर रहे हैं और जब वह लखनऊ में ऐसा करने में असमर्थ रहे तो उन्होंने अपने पद के प्रभाव का उपयोग कर बांदा में मुकदमा दर्ज कर दिया । कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर बैठे व्यक्ति से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह अपनी हैसियत और कुर्सी का फायदा उठाकर व्यक्तिगत हितों की पूर्ति करें। अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराकर अब वह उनका हाथ मरोड़ कर घुटनों पर लाना चाहते हैं ताकि अधिकारी उनके इशारों पर नाचे। कोर्ट ने कहा कि जज का कार्यालय जिम्मेदारियां से भरा होता है क्योंकि उनसे दैवीय कार्य की उम्मीद की जाती है । मगर मौजूदा मामले की तुलना करें तो हमें यह कहने में संकोच नहीं है कि भगवान दास गुप्ता के कार्य में यह आवश्यक मूल चरित्र नजर नहीं आता है । कोर्ट ने इस आदेश की प्रति सभी जिला जजों को भेजने का निर्देश दिया है साथ ही आदेश की एक प्रति भगवान दास गुप्ता के सर्विस रिकॉर्ड पर भी रखने का निर्देश दिया है।