June 23, 2025

9वां पहली आजादी महोत्सव, प्रभात फेरी व नमन शहीदों का से शुरू

0

हमारा दायित्व है कि हम अपने पूर्वजों का बलिदान याद रखें-पंत


9वां पहली आजादी महोत्सव, प्रभात फेरी व नमन शहीदों का से शुरू


7 से 16 जून 1857 में आजाद हो गया था प्रयागराज

प्रयागराज। भारत भाग्य विधाता संस्था द्वारा आयोजित नवें पहली आजादी महोत्सव का उद्घाटन करते हुए मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने कहा कि हम उस मिट्टी में आज खड़े हैं जहां पर हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया और यह बलिदान किसी वस्तु को पाने के लिए लाभ के लिए नहीं दिया गया बल्कि हमारी आजादी के लिए दिया गया। इस तरह के कार्यक्रम अपनी मिट्टी से लोगों को जोड़ते हैं।
क्रांतिकारियों के मुख्यालय खुशरूबाग में सुबह प्रभात फेरी निकाली गई। बाद में नमन शहीदो को कार्यक्रम में बोलते हुए श्री पंत ने कहा कि 1857 की जन क्रांति को दबा दिया गया। अंग्रेज चाहते थे कि हम गुलाम बने रहे, इसलिए हमारे मन में इस तरफ की बातें भरी जाती थी कि हम गुलामी के लिए ही बने हैं । हमारे पूर्वजों के बलिदान हमारे जबरदस्त इतिहास को दबा दिया गया। हम लोगों का दायित्व है कि हम अपने पूर्वजों के बलिदान को याद रखें और उससे प्रेरणा लें।उन्होने कहा कि हमारा गौरवशाली इतिहास रहा है। मध्यकाल में जरूर कुछ कमियां रही हैं । लेकिन इसके बावजूद हमारा इतिहास जबरदस्त है । हमने बहुत कुछ लिखा है , हम किसी से कम नहीं है। यह प्रेरणा हमें अपने पूर्वजों से मिलती है।
कार्यक्रम में पुलिस महानिरीक्षक अजय कुमार मिश्र ने कहा कि हमारे इतिहास को ताकतवर लोगों ने दबा दिया। उस काल में जब वह ताकत में थे , हमारे सर्वोच्च बलिदान को भी नाकार दिया गया। सावरकर ने पहली बार 1857 की क्रांति पर लिखा। उसमें प्रयागराज की क्रांति का भी जिक्र है। उन्होंने अंग्रेजो के दमन का जिक्र करते हुए कहा कि उनके लिए सबसे कम मेहनत वाला काम था कि पूरे गांव को घेर लो और आग लगा दो। उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति के 50 साल बाद इस क्रांति पर पुस्तक प्रकाशित करने का प्रयास किया गया जिसे ब्रिटिश गवर्नमेंट ने सदैव रोका। किंतु बाद में सावरकर साहब ने यह पुस्तक प्रकाशित की।
श्री मिश्रा ने कहा कि प्रयागराज की क्रांति में बलिदानियों की संख्या कितनी थी इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पूरे देश में लगभग 6 000 अंग्रेज और गोरे लोग मारे गए थे और इतनी संख्या में सिर्फ प्रयागराज में लोगों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। इस तरह के कार्यक्रम प्रेरणा देते हैं । हमें अपने गौरवशाली इतिहास का बोध कराते हैं जिससे आगामी पीढ़ी को सही दिशा मिल सकेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महंत यमुना पुरी जी महाराज सचिव महानिर्वाणिया अखाड़ा ने कहा कि क्रांति में सन्यासियों और नागाओं की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका थी। 40000 नागा संन्यासी की फौज इस क्रांति में कूद पड़ी थी। प्रयागराज की क्रांति में यहां के प्रयागवालों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज उनको स्मरण कर हम गर्व महसूस कर रहे हैं।
प्रारंभ में विषय प्रवर्तन शहीदवॉल के संस्थापक वीरेंद्र पाठक ने करते हुए बताया कि किस तरह से क्रांति की शुरुआत हुई और जन क्रांति में छठवीं नेटिव बटालियन के सरदार रामचंद्र ने 6जून को क्रांति की शुरुआत की । बाद में मौलवी लियाकत अली ने नेतृत्व संभाल लिया। हिंदू मुस्लिम दोनों मिलकर लड़े। इनका झंडा हरे रंग का था जिसमें उगता हुआ सूर्य था। आजादी के 10 दिन कब क्या हुआ इसका विस्तार से वर्णन किया।
अभ्यगतों का स्वागत वीके सिंह उद्यान अधीक्षक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अनिल गुप्ता ने दिया।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रमोद शुक्ला ने किया।
प्रारंभ में प्रभात फेरी क्रांतिकारियों के वंशज उत्तम बनर्जी की अगुवाई में तिरंगा झंडा लेकर निकले।भारत माता की जयकार और जयहिंद के उद्घोष के साथ वरिष्ठ नागरिक शैलेंद्र अवस्थी अश्वनी मिश्र शशांक पांडे शशिकांत मिश्र विक्रम मालवीय राजकुमार जी जय प्रकाश श्रीवास्तव नीरज अग्रवाल, रमेश मिश्र, रघुनाथ द्विवेदी सी एल सिंह पूर्व सैनिक दिव्यांशु विक्रम मालवीय प्रदीप जायसवाल आशुतोष शुक्ला अभिषेक मिश्र मोतीलाल हेलाजगत नारायण तिवारी कुलदीप शुक्ला, आरव भरद्वाज, गगन सिंह, सुधीर द्विवेदी, कमलेश पटेल रतन हेला संदीप कुमार शर्मा प्रमुख थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

चर्चित खबरे