November 21, 2024

झूठी शानो शौकत में चढ़ा अहंकार का नशा आस्था समिति द्वारा नाटक नशा की मंच प्रस्तुति

0

झूठी शानो शौकत में चढ़ा अहंकार का नशा आस्था समिति द्वारा नाटक नशा की मंच प्रस्तुति

प्रयागराज आदमी कमजोरियों का पुतला होता है,जो अपनी स्वभावगत कमजोरियों के कारण ही किसी नशे का शिकार होता है। ऐसा नशा भाव अथवा स्वभाव के नष्ट हो जाने के बाद ही उतरता है। कला थियेटर मुट्ठीगंज प्रयागराज में “आस्था” समिति द्वारा मुंशी प्रेमचंद कृत नाटक “नशा” की मंच प्रस्तुति में देखने को मिला। नाटक की कथावस्तु के अनुसार बीर और ईश्वरी दो घनिष्ठ मित्र हैं। ईश्वरी ज़मीदार का बेटा है उसमे ज़मीदारी वाले सारे तेवर मौजूद हैं जबकि बीर गरीब परिवार का है। बीर हमेशा जमीदारों की आलोचना करता। वह उन्हें भ्रष्टाचारी,अत्याचारी और समाज का शोषण करने वाला कहता।ईश्वरी का मिजाज ज़मीदारी वाला जरूर था लेकिन अपने मित्र द्वारा की गई आलोचना पर वह कभी क्रोधित नही होता था।एक बार अपने मित्र बीर को अपने गांव ले जाता है।गांव वालों से बीर का परिचय ऐसे धनवान के रूप में करवाता है जो कि महात्मा गांधी का भक्त होने के कारण धनवान होते हुए भी निर्धन जैसा जीवन व्यतीत करता है।इस परिचय से लोग उसे गांधी जी वाले कुंअर साहब कहने लगे।इस झूठे परिचय से बीर पर अमीरी का ऐसा नशा चढ़ा कि वह इंसानियत को ही भूल गया।पहले जिन बातों के लिए वह जमीदारों की निंदा किया करता था वही काम वह खुद करने लगा।उसके इस बदले हुए व्यवहार से ईश्वरी भी चिंतित रहने लगा।एक दिन तो हद हो गई।ईश्वर के साथ घर लौटते समय ट्रेन खचाखच भरी थी।झूठे कुंअर के नशे में चूर बीर को यह बर्दाश्त नही हुआ कि उसकी सीट पर कोई और बैठ जाये या उसके आस पास भी भीड़ इकट्ठा रहे।वह अपने पास बैठे व्यक्ति की पिटाई कर देता है।और उसको बहुत बुरा भला कहता है।ईश्वर की सहन शक्ति अब जवाब दे जाती है।वह क्रोधित होकर बीर को फटकारता है।वह गुस्से में कहता है ,”बीर मैंने तुहारा मान बढ़ाने के लिए कुंवर के रूप में झूठा परिचय कराया तो तुम अपनी असली औकात ही भूल गए।झूठी शान की खातिर तुम्हारे अंदर की इंसानियत ही मर गई।अब तक तो मैं सब सहन करता रहा लेकिन आज के तुम्हारे व्यवहार मुझे बहुत दुख पहुंचाया है।तुम मेरे दोस्त कहलाने के काबिल नही।मैं इसी समय तुमसे दोस्ती खत्म करता हूं।इतना सुनते ही बीर पर चढ़ा नकली धनवानी का नशा काफूर हो जाता है।और फिर से वही गरीब बीर की आत्मा में लौट आता है।एक घंटे के नाटक ने सभी को झंझोर दिया।बीर की भूमिका में आरिश जमील,ईश्वरी की भूमिका में प्रशांत वर्मा,जमीदार की भूमिका में रमेश चंद ने अपने अभिनय से दर्शकों को बहुत प्रभावित किया।आकांक्षा देवी , अफसार,उत्कर्ष गुप्ता,कीर्ति चौधरी,अब्दुल्ला ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया प्रकाश व्यवस्था संदीप यादव,संगीत संयोजन मनोज गुप्ता, रूप सज्जा संजय चौधरी,मंच व्यवस्था अंकित पांडेय,ज्योति यादव की थी।संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से मंचित नाटक की प्रस्तुति परिकल्पना एवं निर्देशन मनोज गुप्ता ने जबकि धन्यवाद ज्ञापित संस्था के अध्यक्ष बृजराज तिवारी ने किया। मंच संचालन निशा यादव ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

चर्चित खबरे