November 9, 2024

गंगा के पवित्रम स्वरूप को दिखाती प्रणाम काशी

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गंगा के पवित्रम स्वरूप को दिखाती प्रणाम काशी


काशी व बनारस के नाम से विख्यात वाराणसी आध्यत्मिक एवं सांस्कृतिक ज्ञान और गंगा की बहती अविरल धारा के दृश्यों के लिए जानी जाती है।

गंगा के किनारे बसे 90 से अधिक घाटों पर बहती हवा इस आध्यत्मिक शहर से होकर गुजरती है। विश्वनाथ मंदिर के गंगा घाट सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। हर घाट का नाम तथ्य और उनके कार्यों के हिसाब से अलग-अलग रखा गया है। हर घाट का अपना अलग-अलग महत्व है और देशी विदेशी सैलानियों के यहां घाटों पर शून्य में खोये रहने के रोज हजारों अनुपम उदाहरण भी नजर आते हैं। काशी की इस खूबसूरती को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से तैयार करायी गयी वृत्तचित्र फिल्म प्रणाम काशी की स्क्रीनिंग में देखने को मिला। शुक्रवार को सांस्कृतिक केंद्र परिसर के मल्टीपर्पज हॉल में केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा के कॉन्सेप्ट और आलेख पर बनी फिल्म प्रणाम काशी एक डाक्यूमेंट्री फिल्म है, इसके माध्यम से काशी की बसावट, गंगा की महत्ता तथा मणिकर्णिका घाट, दशाश्वमेध घाट, पंचगंगा घाट, असि घाट, नमो घाट, तुलसी घाट, संकटा घाट आदि घाटों के इतिहास को चित्रित किया गया है। यह फिल्म एनसीजेडसीसी, प्रयागराज के बैनर तले बनी है, जिसका निर्देशन राहुल यादव ने किया है।
फिल्म की शुरूआत बनारस के तंग गलियों से होती है उसके बाद मधुर संगीत के बीच बनारस में बहती पवित्र गंगा एवं उसके घाटों के इतिहास को खुलकर सामने रखती है। फिल्म में बहुत से ऐसे सीन हैं जो आपको वास्तव में सोचने को मजबूर कर देते हैं। मणिकर्णिका घाट का सीन देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि इस संसार में मोक्ष प्राप्त करने का इससे अच्छा कोई साधन नहीं है। यहां पर दिन रात जलती चिताओं के बीच होली के दिन उड़ते गुलाल का दृश्य आपको बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है। फिल्म के बीच में एक सीन आता हे,जिसमे नाव के ऊपर लहराता तिरंगा काशी में रहने वाले लोगों में राष्ट्रीयता का संचार करता दिखता है, वही एक दूसरे सीन में नाव पर लिखा स्वास्तिक चिन्ह लोगों का गंगा के प्रति आस्था को दिखाता है। फिल्म के बीच-बीच में इतिहासकारों, भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के अधिकारियों और धर्म की विशिष्टता रखने वाले लोगों के साक्षात्कार लिए गए हैं जो फिल्म में चार चांद लगाते हैं। फिल्म स्क्रीनिंग में आए राकेश कुमार बताते हैं कि भारतीय संस्कृति और विरासत के बारे में जानने के लिए यह फिल्म अवश्य देखनी चाहिये। इस अवसर पर केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा, शहर के कई गणमान्य, केंद्र के अधिकारी व कर्मचारियों सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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