October 21, 2025

पहलगाम-पाकिस्तान-ईरान- अमेरिका-इजराइल क्या यह सभी बिंदु एक दूसरे से जुड़े हैं ?

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पहलगाम-पाकिस्तान-ईरान- अमेरिका-इजराइल
क्या यह सभी बिंदु एक दूसरे से जुड़े हैं ?


पहलगाम हमले के बाद भारत की स्ट्राइक और अचानक से युद्ध बंद होना समझ से परे था ! इसके बाद कंगाल पाकिस्तान को मुद्रा कोष से और अमेरिका से खूब पैसे मिले।
अचानक से इस रहा मत का राज पता नहीं लग रहा था।
ईरान पर इजरायल के हमले के बाद कुछ बिंदु और साफ हो गए। जैसे ईरान के सेवा प्रमुख का मर जाना। कुछ दिन पहले ईरान के सेवा प्रमुख से पाकिस्तान के सेवा प्रमुख मिले थे और एक घड़ी भेंट की थी, जो ईरान के सेवा प्रमुख अपने पास रखे थे।
इस घड़ी का संबंध इजरायल द्वारा सटीक हमले से जोड़ा जा रहा है।
पाकिस्तान के सेवा प्रमुख को अमेरिका के सेवा के एक कार्यक्रम में बुलाने की खूब चर्चा हुई।
विदेशी साजिशों में समय का बड़ा महत्व पूर्ण योगदान होता है। जिस समय पाकिस्तान के सेवा प्रमुख अमेरिका में स्वागत के लिए अपने को तैयार कर रहे थे उसी समय इजरायल ईरान पर हमला कर रहा था !!!
यह भी सत्य है कि इसराइल से उड़कर 200 विमान सीधे ईरान पर हमला करके वापस नहीं जा सकते। इन्हें सिर्फ 2000 किलोमीटर तक एक बार ईंधन में उड़ाया जा सकता है और यह इसराइल से ईरान तक की दूरी ही है ?
तो क्या ईरान पर हमला ईरान के अगल-बगल इस्लामी मुल्क के सहयोग से हुआ और पाकिस्तान की इसमें प्रमुख भूमिका रही ?
क्या पाकिस्तान के मुंह में पैसे ठूंस कर उसको अपाहिज बना दिया गया! या पाकिस्तान बिक गया ? इस्लाम का डंका पीटने वाले पाकिस्तान के पूरे मामले में भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है ! क्या कुछ शक्तियों ने प्रवोक करके पाकिस्तान को भारत से लाडवा दिया ! कि वह भीख मांगने की स्थिति में आ जाए ? वह हर उस बात को करने के लिए तैयार हो जाए जो अमेरिका और उसके मित्र देश चाहते हो ?और जब पाकिस्तान घुटनों पर बैठ गया तब ईरान को निशाने पर लिया गया ?
ईरान के बगल में पाकिस्तान है जहां से बहुत सारी गतिविधियां जासूसी और स्मगलिंग की होती है। पूर्व में ईरान के एक वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक को जब मर गया था वह भी एक ऑटोमेटिक मशीन गन से सैटेलाइट के जरिए कारित किया गया था। इस्लामिक मुल्क अजरबैजान और ईरान के अजरबैजान शहर के लोग भी ग्रेटर अजरबैजान का अभियान चलाएं हैं।

पता नहीं यह सारे बिंदु मैं इस तरीके से देखता हूं । मैं नहीं जानता कि आपकी क्या राय है ?

स्रोत- वीरेन्द्र पाठक सीनियर जर्नलिस्ट की कलम से।

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