November 21, 2024

महाराणा प्रताप के वंशज अभिमन्यु सिंह ने वाराणसी में किया त्रिपिंडी श्राद्ध, जताई ये उम्मीद

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महाराणा प्रताप के वंशज अभिमन्यु सिंह ने वाराणसी में किया त्रिपिंडी श्राद्ध, जताई ये उम्मीद

प्रयागराज पितृ पक्ष की अवधि के दौरान काशी में देश के साथ-साथ विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग अपने पूर्वजों और परिजनों के श्राद्ध के लिए पहुंचे। इसी क्रम में अंतिम तिथि पितृ विसर्जन के दिन भारत भूमि के महान शासक महाराणा प्रताप के वंशज अभिमन्यु सिंह भी ब्रिटेन से काशी अपने माता-पिता के त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए पहुंचे।
इस दौरान सबसे पहले उन्होंने पिशाच मोचन कुंड पर विधि विधान से अपने परिजनों का त्रिपिंडी श्राद्ध कराया. इसके बाद वह राजेंद्र प्रसाद घाट पर पहुंचे. बदलते काशी की तस्वीर को देखकर वह काफी खुश नजर आए और उन्होंने ब्रिटेन से भारत के एक मजबूत व्यापारिक और राजनीतिक रिश्तों की उम्मीद भी जताई।ब्रिटेन में लेबर पार्टी के काउंसलर अभिमन्यु सिंह महान शासक महाराणा प्रताप के वंशज हैं. इनके पूर्वज राजस्थान के मेवाड़ के रहने वाले हैं. अभिमन्यु सिंह ब्रिटेन से अपने पिता दिग्विजय सिंह और माता दशरथ कुंवर का त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए वाराणसी पहुंचें हैं।अभिमन्यु सिंह सात समुंदर रहने के बावजूद अपनी संस्कृति और संकारों को नहीं भूले, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने यहां पहुंचने के बाद सबसे पहले काशी के पिशाच मोचन कुंड में विधि विधान से अपने परिजनों का त्रिपिंडी श्राद्ध किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।इसके बाद वह काशी के राजेंद्र प्रसाद घाट भी पहुंचे, जहां भारत के वीर क्रांतिकारियों के श्राद्ध कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें नमन किया. कार्यक्रम के दौरान अभिमन्यु सिंह ने घाट पर अधिवक्ताओं, नाविक समाज और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात करके बदलते काशी के बारे में भी जाना. अभिमन्यु सिंह ने ब्रिटेन के प्राचीन शहर से काशी के संबंधों को और मजबूत होने की उम्मीद जताई। आजपितृ विसर्जन के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु वाराणसी के प्राचीन घाट और पिशाच मोचन कुंड पर पहुंच रहे हैं. जहां पर पंडों, पुजारी से मिलकर अपने पूर्वजों के श्राद्ध के लिए विधि विधान से पूजन करते हुए दिखाई दे रहे हैं।पितृ पक्ष के अंतिम दिन खासतौर पर वाराणसी के घाट और पिशाच मोचन कुंड पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है. काशी के इन स्थलों पर पहुंचने वाले श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध से जुड़े अलग-अलग पूजन करते दिखाई दे रहे हैं।

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