November 22, 2024

वक़्फ़ बिल पर संसद में विपक्ष का जोरदार हंगामा

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वक़्फ़ बिल पर संसद में विपक्ष का जोरदार हंगामा

नई दिल्ली सरकार ने लोकसभा में वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित एक विधेयक पेश किया, जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय परिषद (जेपीसी) को भेजने का सुझाव दिया गया। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की रुचि के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त संसदीय सलाहकार समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ”मैं सभी दलों के प्रमुखों से बात करूंगा और इस संयुक्त संसदीय पैनल का गठन करूंगा।विधेयक का विरोध किया विपक्ष ने विधेयक का कड़ा विरोध किया और कहा कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। लोक जनशक्ति पार्टी के दो महत्वपूर्ण घटकों जनता दल (संयुक्त) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने विधेयक का समर्थन किया, हालांकि टीडीपी ने इसे संसदीय सलाहकार समिति को भेजने की मांग की। विपक्ष के सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक किसी धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित नहीं करता है और संविधान के किसी अनुच्छेद का दुरुपयोग नहीं करता है। उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब सदन में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया है। आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक पेश किया गया था। इसके बाद इसमें कई बदलाव किए गए।” रिजिजू ने कहा कि व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक पेश किया गया है, जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को मदद मिलेगी। उन्होंने कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान गठित सच्चर बोर्ड और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का हवाला देते हुए कहा कि यह विधेयक उन्हीं के सुझावों के आधार पर पेश किया गया है। यह संविधान और संघवाद पर हमला है: विपक्ष ने वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान और संघवाद पर हमला है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है। उन्होंने पूछा, “अयोध्या में हाईकोर्ट के आदेश पर एक मंदिर बोर्ड का गठन किया गया था। क्या कभी कोई गैर-हिंदू इसका सदस्य हो सकता है? वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम लोगों की चर्चा क्यों हो रही है?
वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक सरकार के ढांचे पर भी हमला है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह बहुत ही गहनता से जांची-परखी राजनीति के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा कि विधेयक में स्थानीय अधिकारी को सभी अधिकार देने की बात कही गई है और हर कोई जानता है कि एक जिला न्यायाधीश ने एक जगह क्या किया था। यादव ने दावा किया कि भाजपा अपने “उन्मादी और निराश आजीवन प्रशंसकों” के लिए यह विधेयक ला रही है। समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि मुसलमानों के साथ यह अपमान क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा, “संविधान पर कुठाराघात किया जा रहा है. हमें इसका सबसे बुरा दौर लंबे समय तक झेलना पड़ेगा।” सपा सांसद ने कहा, “अगर यह कानून पारित हो जाता है, तो अल्पसंख्यकों को भरोसा नहीं रहेगा…ऐसा हो सकता है कि जनता फिर से सड़कों पर उतर आए। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह विधेयक अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग करता है और सौहार्दपूर्ण संघवाद की आत्मा के खिलाफ है।डीएमके सांसद के. कनिमोझी ने कहा, “यह दुखद दिन है। आज हम देख रहे हैं कि यह सरकार सीधे-सीधे संविधान के खिलाफ कदम उठा रही है। यह विधेयक संविधान, संघवाद, अल्पसंख्यकों और मानवता के खिलाफ है।देशभक्त कांग्रेस पार्टी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक का विरोध किया। जनता दल (यूनाइटेड) ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के खिलाफ नहीं है और वक्फ संस्थाओं के कामकाज को निष्पक्षता प्रदान करने के लिए ही लाया गया है। जदयू नेता और विधान पार्षद राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​लल्लन सिंह ने लोकसभा में कहा, ”कई विपक्षी दलों के बयानों से ऐसा लगता है कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ है। यह मुसलमानों के लिए कैसे हानिकारक हो सकता है?”शिंदे ने कहा कि विपक्षी लोग इस विधेयक के नाम पर अव्यवस्था फैला रहे हैं। वक्फ शीट्स को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से जुड़ा यह विधेयक मौजूदा कानून में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव करता है, जिसमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना शामिल है। वक्फ (परिवर्तन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘संयुक्त वक्फ बोर्ड, सुदृढ़ीकरण, दक्षता और सुधार अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है।इस विधेयक की प्रतियां मंगलवार रात लोकसभा सदस्यों के बीच वितरित की गईं। विधेयक के बिंदुओं और कारणों के कथन के अनुसार, विधेयक में बोर्ड को किसी भी तरह से निर्णय लेने की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है।

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