November 21, 2024

राष्ट्रभाषा हिन्दी भारत देश की पहचान और गौरव 

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राष्ट्रभाषा हिन्दी भारत देश की पहचान और गौरव

 

 

हिन्दी हमारे स्वाभिमान और गर्व की भाषा है, हिन्दी ने हमें विश्व में एक नई पहचान दिलाई है. भारत में हर वर्ष ’14 सितंबर’ को हिन्दी दिवस मनाया जाता है. आप सभी जन को हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई अनंत शुभकामनाएं.

विदित हो कि भारत की आजादी के बाद हिंदी भाषा को उचित सम्मान देने के लिए संविधान सभा ने 14 सितंबर 1950 के दिन देवनागरी लिपि हिंदी को भारत के आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में चुना और 26 जनवरी 1950 के दिन संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी भाषा को आधिकारिक रूप से भारतीय भाषा का दर्जा दे दिया गया. राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने का फैसला प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी का था जिसके बाद देश में सबसे पहले 14 सितंबर 1953 को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया गया.
इसके अलावा 10 जनवरी के दिन विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है, जो सबसे पहले 2006 में मनाया गया था.

उल्लेखनीय हैं कि हिंदी केंद्र सरकार की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है – दूसरी अंग्रेजी है. यह भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. ऐसा कहा जाता है कि हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास के साथ-साथ बेहर राजेंद्र सिम्हा के प्रयासों के कारण, हिंदी को दो आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी.
राष्ट्रभाषा के उपयोग से भारतीय समाज एवं राष्ट्र का विकास हो रहा है. यह सबसे प्राचीनतम एवं सरलता से समझ आने वाली भाषा हैं.

14 सितंबर को इसलिए मनाया जाता है हिंदी दिवस

हिंदी दिवस का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से प्रारम्भ होता है.
सन 1918 में, हिंदी विद्वानों और कार्यकर्ताओं के एक समूह ने राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन (हिंदी साहित्य सम्मेलन) का गठन किया. सम्मेलन ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने में प्रमुख भूमिका निभाई.

भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ. संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी. आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ. लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था. काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया.संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. पहला हिंदी दिवस 1953 में मनाया गया था.
दरअसल, यह घोषणा राजेंद्र सिम्हा के 50वें जन्मदिन पर हुई थी। श्री सिम्हा का जन्म 14 सितंबर 1916 को हुआ था. बता दें कि श्री सिम्हा ने भारत के संविधान की मूल अंतिम पांडुलिपि का चित्रण किया था.
अपने विचार और भावनाओं को मौखिक और लिखित रूप से प्रकट करने के लिए हमें भाषा की आवश्यकता होती है. इसलिए भाषा बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है. भारत विविधताओं वाला देश है, जिसमें विभिन्न धर्म, जाती के लोग रहते हैं, लेकिन इन सभी लोगों को हिंदी भाषा ने जोड़ कर रखा हुआ है.
भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 78 प्रतिशत दुनिया में 64 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है. विश्व के 120 मिलियन लोग दूसरी भाषा के तौर पर हिंदी भाषा को संवाद और आम बोलचाल के लिए प्रयोग करते हैं.

कश्मीर से कन्याकुमारी तक, साक्षर से निरक्षर तक प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिन्दी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है. यही इस भाषा की पहचान भी है कि इसे बोलने और समझने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती. पहले के समय में अंग्रेजी का ज्यादा चलन नहीं हुआ करता था, तब यही भाषा भारतवासियों या भारत से बाहर रह रहे हर वर्ग के लिए सम्माननीय होती थी.
यह सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक है और मुख्य रूप से भारत में बोली जाती है.
हिंदी भाषा के महत्त्व को जानते हुए ही इसे राष्ट्र भाषा को उपाधि दी गई है. यह हमारे राष्ट्र की धरोहर है, हमें इसे संजोए रखना चाहिए.

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