सर्वपितृ अमावस्या, मान्यतानुसार इस तरीके से करें पितरों की विदाई
सर्वपितृ अमावस्या, मान्यतानुसार इस तरीके से करें पितरों की विदाई
प्रयागराज हिन्दु धर्म में पितृ पक्ष (15 दिन का होता है) का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान पितर यानी हमारे पूर्वज अपने परिजनों से अन्न जल की इच्छा करते हैं. ऐसे में उन्हें तृप्त करने के लिए लोग उनकी मृत्यु तिथि पर उनका श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं. पूर्वजों को अन्न जल से संतुष्ट करने से पितर दोष दूर होता है साथ ही माना जाता है कि इससे तीन पीढ़ियों को मोक्ष भी प्राप्त होता है. इस साल पितर पक्ष 17 सितंबर से शुरू हुआ जो कि कल यानी 2 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर समाप्त होगा. आपको बता दें कि पितर पक्ष की यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस दिन अपने पूर्वजों की विधि-विधान से विदाई की जाती है. ऐसे में आपको पितर विसर्जन में किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, आइए इस आर्टिकल में जानते हैं ताकि आपसे किसी तरह की भूल-चूक न हो. मान्यता है कि पितरों की विदाई में आरती जरूर करनी चाहिए, तभी पितर विसर्जन पूर्ण माना जाता है. साथ ही दान पुण्य करना भी बहुत लाभकारी होता है. इससे आपके पूर्वज प्रसन्न होते हैं. वहीं, पितर पक्ष के दौरान पितृ कवच का भी जाप करना चाहिए, इससे भी घर में सुख शांति और पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है.