चीनी लहसुन खाने वाले हो जाएं सावधान, इसे खाने से हो जाएंगे बीमार डॉ रेखा सिंह
चीनी लहसुन खाने वाले हो जाएं सावधान, इसे खाने से हो जाएंगे बीमार डॉ रेखा सिंह
प्रयागराज आजकल फल और सब्जिों में तेजी से मिलावट की जाने लगी है। ज्यादा पैदावार के लिए फल-सब्जियों में हानिकारक केमिकल्स का उपयोग किया जा रहा है। मिलावट के दौर में बाजारों में चाइनीज लहसुन भी पहुंच रहा है। भारत में बड़ी मात्रा में अवैध रूप से नेपाल के जरिए चाइनीज लहसुन की सप्लाई हो रही है। चाइनीज लहसुन को भारत में बैन किया जा चुका है। इसमें कई तरह के हानिकारक केमिकल्स का उपयोग किया जाता है। सबसे अहम बात ये है कि चाइनीज लहसुन को उगाने में मेटल, लेड और क्लोरीन का उपयोग किया जाता है। ऐसे में आपको सावधान होने की जरूरत है। कहीं आप भी चाइनीज लहुसन का सेवन तो नहीं कर रहे हैं। लहसुन खरीदने से पहले जान लें इंडियन और चाइनीज लहसुन में क्या फर्क है।मार्केट में बिकने वाला नकली लहसुन कई लोगों के घरों में खाया जा रहा है। कुछ लोगों को ये पता भी नहीं है कि वो जिसे लहसुन समझकर खा रहे हैं वो नकली लहसुन है। चाइनीज लहसुन का स्वाद बिल्कुल असली लहसुन के जैसा ही होता है। इसलिए कुछ लोग इसमें आसानी से फर्क नहीं कर पाते हैं। ये लहसुन दिखने में ज्यादा सफेद और इसकी कलिया ज्यादा मोटी होती हैं। इस लहसुन को छीलना भले ही आसान हो, लेकिन ये सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इस तरह का लहसुन खाने से नर्वस सिस्टम से जुड़ी गंभीर बीमारियां और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
लहसुन खरीदते वक्त आप कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए असली और नकली लहसुन की पहचान कर सकते हैं।सबसे पहली बात मार्केट में ज्यादा सफेद और मोटा लहसुन बिक रहा हो तो उसे खरीदने से बचें।
देसी लहसुन की कलियां थोड़ी छोटी होती हैं और इनमें दाग-धब्बे भी नजर आते हैं छिलका उतना सफेद नहीं होता है।असली लहसुन की पहचान है कि आप लहसुन पलट कर देखें अगर निचले हिस्से में दाग सा दिखाई दे तो असली लहसुन है।अगर पलटकर देखने पर भी लहसुन बिल्कुल सफेद हो तो ये नकली चाइनीज लहसुन हो सकता है।
चीन का लहसुन हम इसलिए कह रहे है क्योंकि यह पूरी तरह से भारत के लहसुन से भिन्न होता है. विशेषज्ञों की मानें तो चीनी लहसुन का भारत के लहसुन से आकार बड़ा होता है. इसका ऊपरी भाग देखने में सफेद, लेकिन उसके अंदर का बीज गुलाबी या हल्के काले रंग का होता है कि वाणिज्य मंत्रालय ने पांच वर्ष पूर्व ही चीन के लहसुन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी थी. लेकिन कोलकाता में आये दिन चीनी लहसुन मार्केट में पाए जा रहे हैं.चीनी लहसुन में क्लोरीन ब्लीच किया जाता है. क्लोरीन एक तरह का केमिकल है. जिसका उपयोग चीनी लहसुन के उपरी भाग को बिल्कुल सफेद दिखाने के लिए किया जाता है. यही नही इसमें कीड़ा मारने वाली औषधि भी डाली जाती है. जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है.चीनी लहसुन कासीनजन और जहरीला होता है. जिसके लंबे समय तक इसका इस्तेमाल पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.भारत विश्व में दूसरा सबसे ज्यादा लहसुन उत्पादन करने वाला देश है.इसे लहसुन के आयात की जरूरत ही नही है. भारत में उत्पादन होने वाले लहसुन में भारी मात्रा में एल्लीसिन होती है. जो ब्लड प्रेशर रोकने में काम आता है. लेकिन चीनी से आने वाले लहसुन ज्यादा समय तक स्टोर करने पर उसमें एल्लीसिन नहीं रह पाता और इसमें फंगस जल्द लग जाता है. यह ताजगी से भरपूर रहे, इसके लिए इसमें विभिन्न तरह के केमिकल का उपयोग किया जाता है.डॉक्टर रेखा सिंह ने कहा कि चाइनीस लहसुन बहुत तेजी से बढ़ता है, जिससे कि वह बाजार में जल्दी बिके. इसको उगाने का तरीका बहुत खतरनाक है, इसकी सिंचाई के लिए सेप्टिक टैंक से निकले हुए पानी का इस्तेमाल किया जाता है . उसमें खाद की मात्रा अधिक होती है, लेकिन इसके साथ ही हेवी मेटल जैसे लेट्स जैसे रासायनिक पदार्थ मिले होते हैं.
चाइनीस लाइसेंस जब बड़ा हो जाता है, तब उसे सफेद करने के लिए ब्लीच का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमे मिथाइल, क्रोमाइड़ जैसा केमिकल इसका इस्तेमाल किया जाता है. मिथाइल क्रोमाइड के कारण आपको सांस की तकलीफ नर्वस सिस्टम की तकलीफ होती है.
डॉ रेखा सिंह ने इसे इंटरनल सिक्योरिटी थ्रेट बताया है. हेवी मेटल के कारण आर्सेनिक मरकरी बोन कैंसर और अन्य प्रकार का कैंसर हो सकता है. चाइनीस लहसुन आपके शरीर में संक्रामक और गैर संक्रामक बीमारियां पैदा कर सकता है. देसी लहसुन को खाने में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।