September 21, 2024

भगवान शिव पर गंगा जल क्यों अर्पण किया जाता है

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भगवान शिव पर गंगा जल क्यों अर्पण किया जाता है

प्रयागराज पौराणिक कथा के अनुसार, चिरकाल में जब दानवों का आतंक बढ़ा और दानवों ने तीनों लोक पर आधिपत्य जमा लिया. उस समय देवतागण और ऋषि मुनि भगवान श्रीहरि विष्णु के पास गए, जहां उन्होंने दानवों पर विजय पाने के लिए समुद्र मंथन करने की सलाह दी. इसके पश्चात, देवताओं ने दानवों के साथ मिलकर नाग वासुकी और मंदार पर्वत की मदद से क्षीर सागर में समुंद्र मंथन किया. इससे 14 रत्नों समेत अमृत और विष की प्राप्ति हुई.जब विष धारण करने की बात आई तो देवता और दानव सभी पीछे हट भगवान शिव से विष से मुक्ति दिलाने की याचना की. उस समय भगवान शिव ने विष को धारण किया. जब भगवान शिव विष धारण कर रहे थे तो विष की कुछ बूंदे धरा पर भी गिरीं, जिन्हें सांप, बिच्छू और अन्य विषधारी जीवों ने ग्रहण कर लिया. इसके चलते वे सभी विषधारी हो गए. जबकि, भगवान शिव ने समस्त विष को अपने ग्रीवा में धारण कर लिया उस काल में भगवान शिव को अत्यंत पीड़ा. इस पीड़ा को बुझाने अथवा कम करने के लिए देवताओं ने गंगालज लाकर उन्हें पिलाया, जिससे विष की पीड़ा कम हुई. कालांतर से भगवान शिव की गंगाजल से जलाभिषेक किया जाता है. आधुनिक समय में कांवड़िया गंगलाजल लेकर कांवड़ यात्रा करते हैं और गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं

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