October 14, 2024

त्रेता में भगवान राम ने की थी साधना, मंदिर में सुनाई देता है शिव का जयकार

0

त्रेता में भगवान राम ने की थी साधना, मंदिर में सुनाई देता है शिव का जयकार


प्रयागराज। यज्ञ की धरती पर भगवान शिव का अद्भुत दर्शन यमुना के तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर के पौराणिक स्थल पर होता है। मान्यता है कि मनकामेश्वर मंदिर पर मन से मांगी गई सभी मुराद पूरी होती है। स्कंद पुराण और प्रयाग महत्म के अनुसार अक्षयवट के पश्चिम में पिशाच मोचन मंदिर के पास यमुना के किनारे भगवान मनकामेश्वर का तीर्थ है। जिन्हें शिव का पर्याय माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जहां शिव होते हैं वहां कामेश्वरी होती है।अर्थात पार्वती का भी वास होता है। इसलिए यहां भैरव यक्ष किन्नर आदि भी विराजमान है। कामेश्वर और कामेश्वरी का तीर्थ होने के साथ ही श्री विद्या की तांत्रिक साधना की दृष्टि से यह बेहद महत्वपूर्ण है।मनकामेश्वर मंदिर के परिसर में ऋण मुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव का अद्भुत शिवलिंग स्थापित है।यहां हनुमान जी महाराज दक्षिणमुखी होकर विराजमान है। सावन के पवित्र माह में यहां हर दिन हजारों श्रद्धालुओं का ताता होता है। विशेषकर सोमवार प्रदोष और भगवान शिव पार्वती की आराधना वाले विशेष दिनों पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर के व्यवस्थापक धनानंद ब्रह्मचारी कहते हैं कि भगवान शिव ने काम को भस्म करके स्वयं यहां पर स्थापित हुए स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ जिक्र होता है,यह वही कामेश्वर धाम है । उन्होंने बताया कि त्रेता में जब भगवान राम को वनवास मिला तो अयोध्या से भगवान राम माता जानकी और लखन लाल के साथ अक्षयवट के नीचे विश्राम किया । यहां से प्रस्थान से पहले उन्होंने यहीं पर साधना और अभिषेक कर भगवान शिव से मार्ग में आने वाले तमाम संकटों से मुक्ति पाने की कामना की थी।
वहीं मंदिर में परिसर में ऋण मुक्तेश्वर भगवान शिव स्थापित है। पदम पुराण में ऋण मुक्तेश्वर शिव के यहां पर स्थापित होने का व्याख्यान है।उन्होंने बताया कि 51 सोमवार मनकामेश्वर और ऋण मुक्तेश्वर महादेव के दर्शन करने से सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। मंदिर के महंत बताते हैं कि ऐसा कई बार हुआ है, जब मंदिर परिसर में कोई नहीं रहा है वातावरण बिल्कुल शांत रहा है।उसके बावजूद भी भगवान शिव के जयकारे सुने गए हैं। उन्होंने कहा कि जब मनकामेश्वर भगवान की आरती के बाद सयन की अवस्था में होते हैं ।यहां आस.पास के दिव्य शक्तियां पहरा देती है। यह एक अद्भुत पीठ है यहां आने पर इसको महसूस किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

चर्चित खबरे