डॉ कन्हैया सिंह स्मृति सम्मान समारोह का अयोजन प्रो जयप्रकाश को पहला डॉ कन्हैया सिंह साहित्य सम्मान
डॉ कन्हैया सिंह स्मृति सम्मान समारोह का अयोजन प्रो जयप्रकाश को पहला डॉ कन्हैया सिंह साहित्य सम्मान
प्रयागराज हिन्दुस्तानी एकेडेमी उत्तर प्रदेश, प्रयागराज एवं नया परिमल संस्था के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. कन्हैया सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर “डॉ. कन्हैया सिंह साहित्य सम्मान” का आयोजन गांधी सभागर, हिन्दुस्तानी एकेडेमी उप्र प्रयागराज में किया गया । यह सम्मान हिन्दी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के पूर्व अध्यक्ष एवं आचार्य प्रो. जयप्रकाश को दिया गया । कार्यक्रम के प्रारंभ में आमंत्रित अतिथियों ने डॉ. कन्हैया सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया । मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने डॉ. कन्हैया सिंह से जुड़े संस्मरणों को साझा किया। साथ ही उनके साहित्यिक अवदान पर बात करते हुए कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह की पाठानुसंधान की व्यावहारिकी एवं सैद्धांतिकी में गहरी पैठ थी। मध्यकाल पर किए गए डॉ. सिंह के कार्य और आधुनिक अध्यापन पर चिंता व्यक्त किया कि हिन्दी साहित्य की अध्यापकीय दुनिया प्राचीन और मध्यकालीन साहित्य से विमुख हो गई है। उन्होंने पद्मावत के सम्पादन के प्रयासों के विषय में बताया और कहा कि पाठालोचन में उनकी गहरी पैठ थी। वरिष्ठ साहित्यकार एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामकठिन सिंह ने भी डॉ. सिंह पर अनेक आत्मीय संस्मरण सुनाए। इस क्रम में उन्होंने डॉ. सिंह द्वारा प्रशंसित अपनी आत्मकथा ‘पापा की डायरी’ का भी उल्लेख किया। हिन्दुस्तानी एकेडेमी के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कहा कि डॉ. कन्हैया के मन में सामाजिक एकता का महान स्वप्न था। वह बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी थे और सहजता उनका सबसे बड़ा गुण था। उन्होंने डॉ. सिंह के स्मृति को जायसी की ही पंक्ति ‘फूल मरै पर मरै न बासू’ के द्वारा याद किया। प्रो. जयप्रकाश जी ने अपनी आत्माभिव्यक्ति डॉ. कन्हैया सिंह के प्रति प्रकट करते हुए श्रद्धा पूर्वक समान ग्रहण किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. अमरेन्द्र त्रिपाठी ने डॉ. कन्हैया सिंह का विस्तृत जीवन परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह ने किया। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान डॉ. कन्हैया सिंह के परिजन एवं सम्मान अर्पित करने वाले उनके पौत्र विनीत सिंह, डॉ. विनम्र सेन सिंह, हिन्दुस्तानी एकेडेमी के कोषाध्यक्ष श्री दुर्गेश कुमार सिंह, सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आचार्यगण, शोधार्थी एवं स्नातक-परास्नातक के छात्र छात्राएं एवं शहर के अनेक सम्मानित जनों की उपस्थिति रही।