किसानों की मदद के लिए शुरू हुई ई-फॉर्मर रजिस्ट्री योजना के क्रियान्वयन के लिए तहसील में लगी कार्यशाला
किसानों की मदद के लिए शुरू हुई ई-फॉर्मर रजिस्ट्री योजना के क्रियान्वयन के लिए तहसील में लगी कार्यशाला
गाज़ीपुर सैदपुर स्थानीय तहसील में सरकार की महत्वपूर्ण योजना ई फॉर्मर रजिस्ट्री को लेकर सभी सम्बंधित जिम्मेदारों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान उपजिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने सभी को योजना के क्रियान्वयन को लेकर जानकारी दी। बताया कि इस योजना को शासन ने किसानों की मदद के लिए शुरू की है। इस योजना से उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी। बताया कि ग्रामीण स्तर पर इसका क्रियान्वयन कराने के लिए गांव की पंचायतों के कृषि सहायकों सहित टीएसी, एटीएम व बीटीएम काम करेंगे। इसीलिए इनकी कार्यशाला आयोजित करके उन्हें ई फॉर्मर रजिस्ट्री की जानकारी दी। जिसमे वीडियो के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना के तहत सभी किसानों का एक गोल्डन कार्ड बनाया जाएगा। एक प्रकार से ये कार्ड हर किसान की जमीन के लिए डिजिटल पहचान होगी। इसमें किसानों की कितनी भूमि है, क्या कृषि करते हैं, इसकी जानकारी होगी। जिसके कारण किसी तरह की आपदा आदि आने पर किसानों को सहयोग मिल सकेगा। बताया कि अब हर किसान को इसके लिए फार्मर रजिस्ट्री करानी होगी। इसके तहत बनने वाले कार्ड के बिना कोई लाभ नहीं मिल सकेगा। बताया कि रजिस्ट्री के लिए किसान का आधार नंबर, खतौनी व आधार से लिंक मोबाइल नंबर आवश्यक है। सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद किसान को जो यूनिक नंबर जारी होगा। पंजीयन पूरा होने के बाद किसान गोल्डन कार्ड बनेगा। बताया कि ये प्रक्रिया पूरी होने पर ही किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त मिलेगी। इसके साथ ही इस कार्ड से फसली ऋण, फसल बीमा, आपदा राहत आदि सुविधाएं पाने में सुगमता होगी। बताया कि जिन किसानों की ई-फॉर्मर रजिस्ट्री नहीं हुई होगी, उन्हें किसान सम्मान निधि की 19वीं किश्त नही जारी होगी। बताया कि एक जुलाई इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है और सात जुलाई को इस योजना को औपचारिक रूप से लांच किया जाएगा। इसके पहले राजस्व, कृषि व बैंक सखियों को विकसित किए गए मोबाइल ऐप व वेब पोर्टल पर वांछित जानकारियों को फीड करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। नायब तहसीलदार विजयकांत पांडेय ने बताया कि इससे पीएम किसान योजना का लाभ पाना आसान हो जाएगा। आसानी से किसानों को ऋण मिल सकेगा। आपदा के दौरान क्षतिपूर्ति के लिए किसानों की पहचान की जा सकेगी। किसी योजना का लाभ पाने के लिए बार-बार सत्यापन के लिए नहीं दौड़ना पड़ेगा।