संगम तट पर “चलो मन गंगा यमुना तीर” के मंच पर कलाकारों ने बहायी सुरों की सरिता
संगम तट पर “चलो मन गंगा यमुना तीर” के मंच पर कलाकारों ने बहायी सुरों की सरिता
संगम का तट। चलो मन गंगा यमुना तीर के मंच की आठवीं निशा लोकनृत्यों से समृद्ध रही। माघ मेला के महत्वपूर्ण चरण में, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित “चलो मन गंगा यमुना तीर” कार्यक्रम के तहत त्रिवेणी तट पर एक अद्वितीय लोकगायन व लोकनृत्यों का आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को अलग-अलग राज्यों के कलाकारों ने अपनी रंगारंग मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं।
आठवें दिन मुख्य आकर्षण अनुकृति विश्वकर्मा द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका रही, जिसमें उन्होंने रामचरितमानस आधारित राम जन्म के सुखद क्षण से लेकर राम वनवास तथा भरत के विरह को नृत्य नाटिका के जरिए मनोहर दृश्य प्रस्तुत कर पूरे पंडाल को भावविभोर कर दिया। इसके बाद श्रद्धा सत्विदकर एवं दल ने लावणी व जोगवा लोकनृत्य से संगीत व श्रृंगार रस को परिपोषित किया। शांति बाई चेलक और साथी कलाकारों पांडवानी गायन के माध्यम से एक नये रूप में भारतीय सांस्कृतिक विरासत को दर्शकों के साथ साझा किया। पंजाब से आए रवि किन्नूर ने जिंदुआ व भांगडा नृत्य के जरिए अपने प्रदेश की धरोहर को प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। मिलाप दास बंजारे एवं साथी कलाकारों ने पंथी लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी। कार्यक्रम की शुरूआत बिरहा गायन से होती है।
संत लाल एवं दल ने देवी गीत “सपने में दांत न बता ऐ माँ ” और “कितना बदल गयी दुनिया…. ” सहमी प्रदूषण के मारी, सशक रही गंगा बेचारी की प्रस्तुति दी। भोजपुरी गायक राकेश उपाध्याय ने “हाथ जोड़ि तोहके मनाई आहो मोरी शारदा भवानी”, “सुन्दर सुभूमि भईया भारत के देशवा से मोरे प्राण बसे हिन्द देश रे बटोहिया” तथा “राम ही राम रटन लागी जिभिया हो” को प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन शरद मिश्रा ने किया।