दिये खरीदने वालों को जिलाधिकारी का थैंक यू कार्ड भी साथ में दिया जा रहा है ताकि लोग मोटिवेट हो
जिले में पहली बार गाय के गोबर के दिए जगमगाएंगे
दिये खरीदने वालों को जिलाधिकारी का थैंक यू कार्ड भी साथ में दिया जा रहा है ताकि लोग मोटिवेट हो
साथ ही महिला समूह की महिलाओं को आर्थिक मदद भी मिलेगी और गौ सेवा की एक नई राह मिलेगी, जिसकी पहल जिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल ने की है,
डीएम ने इस योजना को सफल बनाने के लिए महिला समूह को मुफ्त में दिए बनाने की मशीने उपलब्ध कराईं हैं और इसकी मार्केटिंग खुद डीएम ही कर रहीं हैं, इस वर्ष दिवाली को खास बनाने के लिए जिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल ने कई अहम फैसले लिए हैं और योजना को सफल बनाने के लिए खुद जिम्मेदारी निभा रहीं हैं उन्होंने इस बार शहर में गोबर के दिए जलाने की योजना बनाई है, जो इको फ्रेंडली होते हैं और यह इस्तेमाल के बाद खाद के लिए भी प्रयोग किए का सकते हैं, यह दिए जिले में पहली बार जलाए जाएंगे, इसके लिए जिलाधिकारी ने महिला समूह को मुफ्त में दिए बनाने वाली कई मशीनें भी उपलब्ध कराई हैं और उन्होंने 51 हजार दिए बनवाने का टारगेट रखा है, इसकी निगरानी जिलाधिकारी लगातार कर रहीं हैं, इतना ही नहीं इस योजना से जनपद की महिला समूह को नया रोजगार का साधन भी मिला है और उनकी आर्थिक मदद भी होगी, ये दिये बनाने की प्रक्रिया भी बड़ी आसान होती है इसे बनाने के लिए नाम मात्र की मिट्टी मिलाई जाती है इन दियों को भट्टी में पकाया नहीं जाता बल्कि मशीन से दिए का रूप देकर इन्हे छाया में सुखाया जाता है फिर इन्हे रंगों से डिजाइन और कलर किया जाता है, फिर इसमें रूई की बत्ती बनाकर रखी जाती है और मोम पिघलाकर इसमें भर दिया जाता और दिया बनकर तैयार हो जाता है, 3 रुपए मे बनकर तैयार हो जाता है और 7 रुपए मे बिकेगा यह दिया लगभग 40 मिनट जलता है यह दिया 3 रुपए मे तैयार होता है और 7 रुपए मे बिकेगा हालाकि इस दिए की कीमत बढ़ाई जा सकती है, दियों की पैकिंग में इन दियों की खूबियों को अंकित किया गया है, खास बात यह है की इसकी मार्केटिंग जिलाधिकारी खुद कर रहीं है इन दियों की बिक्री के लिए जिलाधिकारी ने अपने शोसल मीडिया अकाउंट के माध्यम से जनता से अपील की है और खरीदारों को जिलाधिकारी का थैंक्यू कार्ड भी दिया जा रहा है जो जनता को प्रोत्साहित करेगा, जिसके बाद से महिला समूह को कई आर्डर मिल चुके हैं और हजारों दियों की सप्लाई भी हो चुकी है इस कार्य में लगभग 15 से 20 समूह की महिलाएं लगी हुई हैं, वहीं महिला समूह की हेड का कहना है की इस कार्य से उन्हें व्यवसाय का नया आइडिया भी मिला है।
वहीं जिलाधिकारी ने बताया की इस बार पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कम पटाखे जिले में फोड़े जाएंगे और इको फ्रेंडली गोबर के दिए जलाए जाएंगे यह बांदा जिले में पहली बार हो रहा है साथ ही इससे महिला समूह को आर्थिक मदद होगी, उन्होंने बताया की इन दियों के वैदिक लाभ भी हैं साथ ही गौमाता की सेवा भी हो जाएगी जो अपने आप में महान कार्य है, इन दियों की खास बात यह है की इन्हे बनाने में एक हिस्सा मिट्टी और तीन हिस्सा गोबर का प्रयोग होता है, जो भट्टी में पकाए नहीं जाते छाया में सुखा कर तयार किए जाते है जिनका प्रयोग खाद बनाने में किया जा सकता है यह आसानी से मिट्टी में घुल जाते हैं,
हजारों दिए तयार हो चुके हैं, उम्मीद है की दिवाली पर लोग इन दियो का उपयोग करेंगे
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रिपोर्ट दिलीप जैन बीरेंद्र गुप्ता