भरणपोषण याचिका में झूठा शपथपत्र देने पर हाई कोर्ट ने पत्नी को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
गाजियाबाद प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय में पत्नी की ओर से भरण पोषण दाखिल प्रार्थना पत्र पर झूठे शपथ पत्र के आधार पर न्यायालय ने पति अनुज त्यागी जिला पानीपत, हरियाणा को पाँच हजार पत्नी व दस हजार रुपये 8 माह की बच्ची को देने के आदेश के विरुद्ध पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उक्त आदेश को निरस्त निरस्त किए जाने की मांग किया । *याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने माननीय न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद के समक्ष बहस में बताया* कि विपक्षी वर्षा त्यागी निवासी गोविंदपुरम थाना कवि नगर जिला गाजियाबाद से याची की शादी वर्ष 2019 में हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई थी । याची की पत्नी उच्च शिक्षित है व अध्यापक के रूप में कार्यरत है साथ ही बच्चों को ट्यूशन व सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर अपलोड कर कुल एक लाख तक कि आमदनी कर रही है और याची के साथ रहने से मना कर मायके में 2 साल से बिना सिंदूर लगाए व बिना मंगलसूत्र पहने ,रहकर झूठा शपथ पत्र दाखिल कर कहा की विपक्षी एक घरेलू महिला है वह अपना व अपनी 8 वर्षीय बेटी का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं है ,परिवार न्यायालय ने 5000 रुपये पत्नी व 10 हजार रुपये बेटी को दिए जाने का आदेश पारित कर दिया । याची के अधिवक्ता ने न्यायालय को बहस में बताया कि विपक्षी के द्वारा झूठा शपथ पत्र दाखिल करने पर याची ने परिवार न्यायालय में धारा 340 सी.आर.पी.सी. के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया लेकिन परिवार न्यायालय ने 340 के प्रार्थना पत्र को बिना निस्तारित किए पत्नी व बेटी को भरण पोषण दिए जाने का आदेश कर दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक वैवाहिक वाद के केस रजनीश बनाम नेहा में स्पष्ठ कहा कि यदि कोई झूठा शपथपत्र देता है तो माननीय न्यायालय की अवमानना होगी व उनके विरुद्ध न्यायालय कार्रवाई किए जाने का आदेश पारित करेगी । याची के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट केस दलीप सिंह बनाम उत्तर प्रदेश व अन्य में पारित आदेश को भी बताया कि दूषित हाथों से आने वाले व्यक्ति को न्यायालय से कोई भी राहत नहीं मिलेगी । बहस को सुनकर माननीय न्यायालय ने अपर शासकीय अधिवक्ता ,विपक्षी और उसकी बेटी को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया है और मुकदमे की अगली सुनवाई 22 नवंबर को फ्रेश मुकदमे की लिस्ट में रखकर फाइनल आदेश देने के लिए नियत किया है।