July 13, 2025

धर्मांतरण के दलदल में उतरकर जो पत्रकार लड़ा, वही आज सत्य के जीत का प्रतीक बना

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धर्मांतरण के दलदल में उतरकर जो पत्रकार लड़ा, वही आज सत्य के जीत का प्रतीक बना

साल 2022 *मौलाना छांगुर धर्मपरिवर्तन का रैकेट चला रहा था।* हिन्दू बेटियों को मुस्लिम बना रहा था। यह जिहादी अपने काम को बहुत गोपनीयता से कर रहा था।जब तथाकथित सेक्युलरिज़्म की चादर ओढ़े देश का एक बड़ा वर्ग आँखें मूँदे बैठा था, तब एक अकेला पत्रकार बलरामपुर की ज़मीन पर उतरकर सच्चाई की मशाल जलाए हुए था।
आइए इस योद्धा का परिचय कराते हैं जिसने सबसे पहले “छांगुर” के पाप का खुलासा किया था। *नाम है शिवम दीक्षित,* पाञ्चजन्य के वही निर्भीक पत्रकार, जिन्होंने उस समय सबूतों के साथ खुलासा किया था कि किस तरह छांगुर मोलवी की अगुवाई में धर्मांतरण का पूरा रैकेट ऑपरेट हो रहा था।ये कोई मामूली खुलासा नहीं था, इसके पीछे विदेशी फंडिंग, स्थानीय नेटवर्क और सुनियोजित साजिश की मोटी परतें थीं।शिवम दीक्षित ने बताया कि कैसे हिंदू बेटियों को जाल में फँसाकर उनका धर्म बदला जा रहा था।
शिवम दिक्षित ने उन चेहरों को उजागर किया जिनके पीछे नकाब सेक्युलरिज़्म का था और नीयत इस्लामीकरण की। लेकिन उस समय क्या हुआ,न तथाकथित लिबरल मीडिया बोली, न दिल्ली की आरामकुर्सी पर बैठे बुद्धिजीवी। उल्टा, शिवम को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश हुई। कानूनी जाल में फंसाने की कोशिश हुई। पर वह शेर लड़ता रहा, उसका हथियार कलम था, निशाने पर मौलाना छांगुर का जिहादी क्रियाकलाप,,, शिवम ने 2022 से अब तक मियां छांगुर के कुकर्मों के कई खुलासे किये,परंतु उसे फेक न्यूज़ कहकर उसकी रिपोर्टिंग को बदनाम किया गया, जैसे सच बोलना इस देश में गुनाह हो। पर आज, जब यूपी पुलिस की कार्रवाई में छांगुर मोलवी की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चला, तो ये महज़ एक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं थी ये उस पत्रकार की विजय थी जिसने ज़मीन से सच्चाई निकाली, उसको सहेजा, और जनता के सामने रखा।
*बुलडोजर उन दीवारों पर चला है,जिनमें मजहबी जहरीले इरादों की ईंटें भरी थीं।*
देश के लिए ये महज़ एक केस नहीं ये चेतावनी है।और शिवम दीक्षित जैसे पत्रकार सिर्फ पत्रकार नहीं, राष्ट्ररक्षक हैं। जब बड़े-बड़े मीडिया हाउस पैकेज के नीचे झुक जाते हैं, तब ऐसे पत्रकार बिना तनख्वाह, बिना सुरक्षा, सिर्फ अपने धर्म और देश के लिए कलम उठाते हैं। आज ज़रूरत है कि ऐसे पत्रकारों को सिर माथे बैठाया जाए क्योंकि अगर शिवम जैसे लोग न हों, तो सेक्युलरिज़्म के नाम पर हर गली में एक छांगुर मोलवी खड़ा होगा, और हर चौराहे पर एक हिंदू बेटी फँसाई जा रही होगी।

मुझे गर्व है ऐसे लोगों पर जो सच्चाई दिखाने का जुनून रखते हैं

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