यह होली तनातनियों नहीं सनातनियों की है: पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
बागेश्वर धाम में बुन्देली फागों के साथ हुआ तीन दिवसीय होली महोत्सव का विराम
छतरपुर। संतों की तपोस्थली बागेश्वर धाम में 12 मार्च से तीन दिवसीय होली महोत्सव की शुरूआत हुई। पहले दिनों फूलों की होली खेली गई और जानी-मानी कथा प्रवक्ता चित्रलेखा जी ने अपने श्रीमुख से भजन प्रस्तुत किए। दूसरे दिन अबीर-गुलाल की होली हुई। महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन रंगों की होली खेली गई। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने देश भर से आए श्रद्धालुओं और एनआरआई के साथ रंगों की होली खेली। इसके पश्चात वे अपने गांव तथा आसपास के लोगों के साथ होली के रंग में रंगे रहे। महाराजश्री ने कहा कि यह होली तनातनियों की नहीं बल्कि सनातनियों की है। उन्होंने सबके जीवन में उत्साह और उमंग भरा रहे ऐसी बालाजी के चरणों में प्रार्थना की।
बागेश्वर महाराज ने तीन दिवसीय होली महोत्सव के आखिरी दिन रात करीब दो बजे से सन्यासी बाबा के साथ होली खेलना शुरू की। उन्होंने बागेश्वर महादेव एवं बालाजी के साथ होली खेलकर राम दरबार पहुंचते हुए यहां बैठे श्रीराम सहित अन्य सभी देवों को गुलाल समर्पित की। महाराजश्री 11 बजे से श्रद्धालुओं के साथ रंगों की होली खेलने निकल पड़े। गीतों के साथ आनंद की बारिश हो रही थी। अप्रवासी भारतीय भी होली के रंग में रंगे नजर आए। इस अवसर पर राजनैतिक क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ राजपीठ के लोग भी होली खेलने बालाजी के धाम पहुंचे।
बुन्देली फाग में गांव के लोगों के साथ झूमे महाराजश्री
महाराजश्री हर कार्यक्रम में अपने गांव के लोगों को प्रमुखता से शामिल करते हैं। यह उनकी उदारता ही है कि दिन में होली अन्य लोगों के लिए रखी थी लेकिन शाम को उन्होंने अपने गांव के लोगों और क्षेत्रीय लोगों के साथ होली खेली। गांव के लोगों ने बुन्देली फागों की प्रस्तुतियां दीं। महाराजश्री ने भी न केवल बुन्देली फागें सुनाईं बल्कि ग्रामीणों के साथ झूमते भी नजर आए। महाराजश्री ने अपने गांव के लोगों को 14 अप्रैल को मुंबई के भिवंडी में बालाजी की प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौता दिया।
अंतर्राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता प्राची जी के भजनों में झूम उठे लोग
विगत रोज अंतर्राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता प्राची जी बागेश्वर धाम पधारीं। उन्होंने एक से बढ़कर एक होली से जुड़े भजन सुनाए। सिर बांधे मुकुट खेलें होरी के अलावा तमाम गीतों की मनमोहक प्रस्तुति देने से लोग झूमते नजर आए। समूचा प्रांगण उल्लास और उत्साह से भरा रहा। प्राची जी की सुरीली आवाज ने सबका मनमोहा।
स्थानीय कलाकारों को मिला विशाल मंच
बागेश्वर धाम का कोई भी कार्यक्रम हो महाराजश्री स्थानीय लोगों को उसमें स्थान अवश्य दिलाते हैं। महाराजश्री की कृपा से ही तमाम लोग धाम में अपनी प्रस्तुतियां देकर देश भर में ख्याति पाने लगे हैं। महाराजश्री ने छतरपुर की रिंकी रिछारिया, पन्ना की शक्ति दुबे सहित अन्य कलाकारों को अपना मंच देते हुए प्रस्तुति देने का मौका दिया। धाम का यह मंच प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने और उनकी प्रतिभा निखारने का काम भी कर रहा है। सभी स्थानीय कलाकारों ने महाराजश्री को प्रणाम करते हुए उनकी इस उदारता पर धन्यवाद दिया।
बच्चों के साथ बच्चे और बुजुर्गों के साथ बुजुर्ग बन जाते हैं महाराजश्री
चाहे कोई भी महोत्सव हो या बागेश्वर धाम का कोई अन्य कार्यक्रम। यहां आने वाले लोगों का महाराजश्री पूरा ख्याल रखते हैं। रात में मंच से जब भजनों की प्रस्तुतियां हो रही थीं उसी दौरान महाराजश्री ने मैदान में अंतिम छोर पर खड़ी एक बुजुर्ग महिला से भोजन लेने के बारे में जानकारी ली। महिला ने इशारों में बताया कि वह भण्डारे से भोजन ले आयी है। होली में छोटे-छोटे बच्चे मंच पर आ गए। महाराजश्री ने उन्हें दुलारते हुए उनके साथ अटखेलियां कीं। इतना ही नहीं बुजुर्गों को भी खूब नचाया। महाराजश्री हर उम्र में ढल जाते हैं।
पानी की बर्बादी वालों को महाराजश्री ने दी नसीहत
जैसे ही सनातनियों के त्यौहार आते हैं वैसे ही कुछ लोग नसीहत देने लगते हैं। रंग की होली खेलने से पानी की बर्बादी होने की बात पर महाराजश्री ने ऐसे लोगों को नसीहत देते हुए कहा कि पानी बचाने का काम वर्ष भर चलता है। पानी बचाने के चक्कर में हम अपने त्यौहार और संस्कृति न भूलें। साल भर पानी बचाएं लेकिन होली के दिन गुलाल के साथ-साथ रंग से भी होली खेलें।