ईश्वर सब में है: डॉ रश्मि शुक्ला
ईश्वर सब में है: डॉ रश्मि शुक्ला
प्रयागराज सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान ने अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस(मदर्सडे)मनाया।संस्थान की अध्यक्षा डॉक्टर रश्मि शुक्ला ने सर्वप्रथम माँ पर एक गीत सुनाया उसके बाद कहा कि मां के कई रूप है और उसमें धैर्य है प्यार है और इतनी फिक्र है कि उसका कर्ज उतारना मुश्किल है।आजकल के बच्चे माँ के प्रति अपना फर्ज समझते हैं।माँँको सपनों का पंख देते हैं पर हम जो भावना अपने बच्चों के लिए रखते हैं वही भावना हमें दूसरे के बच्चों के लिए रखनी चाहिए।मेरा अनुभव है कि जो काम आपके बच्चे करते हैं उसे काम के लिए आप तारीफ करती हैं और जो काम दूसरे के बच्चे करते हैं उसकी बुराई निकलते हैं ।ऐसा नहीं होना चाहिए।माँ का दायित्व बहुत ही बड़ा होता है उसको घर,परिवार, समाज,राष्ट्र सबके लिए सोचना पड़ता है।माँ बच्चों को अच्छे संस्कार देगीं वही सबके लिए सुख का कारण बनेगा। हमारा राष्ट्र का नाम पूरे विश्व में होगा।माँ को बड़े सोच विचार कर बच्चों का लालन-पालन करना चाहिऐ।आजकल बच्चें शिक्षित हैं यह गर्व का विषय है संस्कार से युक्त उनमें सबको साथ लेकर चलने की भावना भी होनी चाहिए।शादी के बाद उनको सामंजस बनाना होगा आजकल तलाक के केस बहुत सुनने को मिल रहे हैं यह चिंता का विषय है चाहे पुत्र हो या पुत्री सामंजस दोनों को जरूरी है परन्तु मातृत्व सौभाग्य पुत्री को ही प्राप्त होता है इसलिए उस में सब गुण समाहित होने चाहिए। समय अनुकूल व्यवहार सीखना होगा परिवार का भी अपना एक सुख है इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए माँ परिवार को माला की तरह पिरो कर रखती है जिसमें सभी रिश्तों के मोती होते हैं। सभी को ‘मदर्स डे’ की बहुत-बहुत शुभकामनाएं इसी कड़ी में नीलिमा ने माँ की भूमिका का विस्तृत वर्णन किया।हम क्यों मदर्स डे मनाते हैं इसकी विस्तृत जानकारी दी।बताया हमारे क्या-क्या कर्तव्य है इसको भी निर्देशित किया। कार्यक्रम में सब ने गीत गए शोभा जी ने बहुत ही सुंदर गीत की प्रस्तुति दी। सभी ने अपने हाथ से निर्मित भोजन सामग्री का वितरण किया और साथ बैठकर भोजन किया।इन्दिरा,मोंटू, अन्नपूर्णा,सुमन,किरण,छाया,सिंपल, डॉली,शबीना,शकीला,विद्या,नीतू,शालू,रचना,संगीता,शोभा,नीलिमा ने रंगारंग गीत-संगीत का कार्यक्रम किया और एक दूसरे उपहार और बधाई दी।कार्यक्रम का संचालन रचना ने किया।