अम्न की एक दास्तां हैं बुतूल…
अम्न की एक दास्तां हैं बुतूल…
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद ए मुस्तफा की बेटी जनाबे फात्मा ज़हरा की यौमे पैदाइश पर ज़ायर हुसैन द्वारा क़ायम अन्जुमन ग़ुन्चा ए अब्बासिया की ओर से बख्शी बाज़ार स्थित मस्जिद क़ाज़ी साहब में महफ़िल ए शुआ ए नूर के 70 वें दौर की महफ़िल में शायरों ने एक से बढ़ कर अशआर सुना कर वाह वाही बटोरी।
रंगीन झालरों व क़ुमक़ुमों से सजी मस्जिद में इमाम ए जुमा मौलाना सैय्यद हसन रज़ा ज़ैदी की सदारत व अनीस जायसी की निज़ामत में सजी जश्न की महफ़िल में शहंशाह मिर्ज़ापुरी ने पढ़ा- क्यूं न लानत हो उनके क़ातिल पर!अम्न की एक दास्तां हैं बुतूल!शायर इतरत नक़वी ने पढ़ा- क्यूं न इस्मत को नाज़ हो उनपर!खुल्द के मालिकों की मां हैं बुतूल!हसनैन मुस्तफाबादी ने पढ़ा- है सुकूं हैदर ओ मुहम्मद को!इस्मतों की मिज़ाज दां हैं बुतूल!शायर हाशिम बांदवी ने अपने तास्सुरात का इज़हार करते हुए पढ़ा- अर्श होता न फर्श और न हम! वजहे तख़लीक़ दो जहां हैं बुतूल!बाहरी शहरों से आए शायरों में खादिम शब्बीर नसीराबादी ,बाक़र बलियावी ,दिलकश ग़ाज़ीपुरी ,अहमद सज्जाद लखनवी ,मायल चंदौलवी , शहंशाह मिर्ज़ापुरी ,अफ़रोज़ ज़ैदी दत्तियावी ,उरुज अब्बास ग़ाज़ीपुरी ,ऐलिया बलियावी ,ऐलिया ग़ाज़ीपुरी के साथ मुक़ामी शायरों में वाक़िफ अंसारी ,ज़की अहसन ,ज़मीर भोपतपूरी ,अनवार अब्बास ,आज़म मेरठी , हसनैन मुस्तफाबादी ,नायाब बलियावी ,क़मर आब्दी ,नजीब इलाहाबादी ,इतरत नक़वी ,बाबर ज़हीर , आमिरुर रिज़वी ,जावेद करारवी ,अनवर कमाल ,इक़तेदार सिरसिवी ,असग़र दरीयाबादी ,जावेद दुल्हीपुरी ,आबिद सोनवी ,हाशिम बांदवी ,रज़ा इस्माइल सफवी ,अज़हर रिज़वी ,इरफान लखनवी ,अली शहीर रालवी , शहंशाह सोनवी ,अमन दरियाबादी आदि शायरों ने मिसरे तरहा पर अपने अशआर सुना कर जमकर वाह वाही बटोरी ज़ाकिर ए अहलेबैत रज़ा अब्बास जैदी ने इस्मत ए ज़हरा की यौमे पैदाइश पर विस्तृत प्रकाश डाला!महफ़िल में मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर ,मौलाना जवादुल हैदर रिज़वी ,मौलाना अफ़ज़ल अब्बास , मौलाना अली गौहर ,मौलाना सरफराज़ हुसैन ,मौलाना डॉ रिज़वान हैदर ,काज़िम अब्बास ,अहमद जावेद कज्जन ,वक़ार हुसैन , सैय्यद मोहम्मद अस्करी ,ज़िया अब्बास अर्शी ,अख्तर अली ,ज़फ़र ज़ेया ,बाक़र मेंहदी ,ज़रगाम हैदर ,खान उमर ,जमाल क़ासिम ,मज़हर ज़ेया , आमिर ,शजीह अब्बास ,ज़ामिन हसन आदि शामिल रहे।
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रिपोर्ट सहयोगी विनोद कुमार