राइट टू फेयर इन्वेस्टिगेशन समय की मांग : जस्टिस मुनीर
राइट टू फेयर इन्वेस्टिगेशन समय की मांग : जस्टिस मुनीर
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आज के समय में बहुत सारी खामियां हैं। देश में लोगों के लिए राइट टू फेयर इन्वेस्टिगेशन आज के समय की मांग है। इसे एक अधिकार के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। आज के युग में अपराधिक केस की विवेचना वैज्ञानिक तरीके से हो सकती है।
जस्टिस मुनीर अधिवक्ता परिषद काशी प्रांत की उच्च न्यायालय इकाई की ओर से संविधान दिवस के अवसर पर हाईकोर्ट बार के लाइब्रेरी हाल में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। जस्टिस मुनीर ने कहा कि इस देश की नींव संविधान पर है। संविधान जो मौलिक अधिकार हमें देता है, वह हमें प्राचीन काल से मिला है। संविधान केवल उन मौलिक अधिकारों का संरक्षण करता है।
संविधान और कानून का निर्माण समय की आवश्यकता के अनुरूप किया जाता है। वर्तमान में कानून द्वारा निर्मित जो संस्थाएं सिविल अधिकारों के संरक्षण के लिए बनाई गई हैं, वे कमजोर होती जा रही हैं। इसलिए व्यक्ति उच्च न्यायालय के समक्ष संवैधानिक अधिकारों के द्वारा अपने सिविल अधिकारों का संरक्षण चाहता है। हम सब का कर्तव्य है कि सिविल अधिकारों के संरक्षण के लिए बनी सिविल कोर्ट को मजबूत हो बनाने के संबंध में सोचना चाहिए। सिविल अधिकारों के उल्लंघन पर कानून द्वारा निर्मित जो उपचार हमें प्रदान किए गए हैं, आज के समय में वे कमजोर पड़ गए हैं। यह हमारे समाज के लिए चुनौती है। यह एक विडंबना ही है कि यदि आज हम अपनी संपत्ति को बंटवारे के लिए न्यायालय में जाते हैं तो अधिक कोर्ट फीस अदा करनी पड़ रही है। दूसरा सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार को बाधित करने के लिए अलग फोरम की व्यवस्था की जा रही है जबकि उस फोरम में नाममात्र की कोर्ट फीस व्यक्ति को देना पड़ता है। फोरम या अधिकरण का ढांचा सिविल कोर्ट जैसा नहीं है।
अपर महाधिवक्ता पीके गिरी की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। शुचिता त्रिपाठी ने विषय प्रवेश किया। धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता परिषद काशी के महामंत्री नीरज सिंह और संचालन उच्च न्यायालय इकाई के महामंत्री वरुण सिंह ने किया। इस अवसर पर एनसी त्रिपाठी, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि सिंह, डॉ राजेश्वर त्रिपाठी, प्रभूतिकांत, अनीता सिंह, विनायक पांडेय, प्रतीक, सौमित्र आदि उपस्थित रहे।