November 22, 2024

गरीब जनता के लिए अस्पताल बना लूट का केंद्र,बीएमओ के चेंबर से लेकर आईपीडी तक दलालों का बोलबाला

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गरीब जनता के लिए अस्पताल बना लूट का केंद्र,बीएमओ के चेंबर से लेकर आईपीडी तक दलालों का बोलबाला

अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्था को लेकर नगर की जनता ने कलेक्टर के नाम तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

*लवकुशनगर* – स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं और तमाम बीमारियों की दवाएं भी उत्तम स्वास्थ्य के लिए जनता को निःशुल्क प्रदान करने के लिए सभी छोटे बड़े अस्पतालों में उपलब्ध भी कराई जाती हैं लेकिन ये सब योजनाएं अस्पतालों में आते ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। यहाँ तक की कमीशनखोरी के चक्कर में अस्पताल के डॉक्टर ही मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। डॉ अस्पताल के पर्चे पर खानापूर्ति के लिए कुछ सरकारी दवा लिखकर बाहर की महंगी दवाएं लिख रहे हैं। इस व्यवस्था में मरीजों को सरकारी इलाज से वंचित रखा जा रहा है, और महंगा इलाज लेने को  मजबूर होते है।

*मुख्य चिकित्सा अधिकारी  द्वारा आत्महित और अस्पताल में बैठे दलालों को लाभ पहुचाने का सतत प्रयास*

निरंकुश हो चुके मुख्य चिकित्सा अधिकारी की निरंकुशता अब जनता के सामने अब स्पष्ट रूप से झलकने लगी है जिसका मुख्य कारण है साहब का वर्षों से एक ही स्थान पर बने रहना। अस्पताल में आलम ये हो गया है कि साहब अपने चेंबर में ही एमआर और दलालों को बैठा कर उनकी तमाम मेंहगी मेंहगी दवाओं को बीमार लोगों के पर्चो पर लिख रहे है और उनको लाभ पंहुचा रहे है।
*अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्था को लेकर नगर की जनता ने सौंपा ज्ञापन*
अस्पताल में बीमारी की तरह फैली दलाल व्यवस्था को ख़त्म करने एवं गरीब जनता को लाभ पहुचने हेतु आज गुरुवार की दोपहर नगर की जनता ने तहसील कार्यालय पहुच कर कलेक्टर के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।
*ज्ञापन में दिए गए बिंदु* –
1. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवकुश नगर गरीब मरीजों का सामुदायिक शोषण केंद्र बन गया है जिसमें शासन द्वारा प्रदत्त निशुल्क दवाओ का वितरण नियून है, जांच व् बाहर की महंगी कमीशन वाली दवाये ही मान्य है लोकहित में प्रदत्त स्वास्थ्य उपकरण खराब संचालक विहीन बताए जाते हैं गंदगी का अंबार है मेडिकल बेस्ट का निस्तारण नियमानुसार नहीं होने से नगर वासियों को स्वास्थ्य का खतरा है निशुल्क वितरण हेतु प्राप्त दवाओ को जलाया व् फेंका जाता है, ताकि बाहरी कमीशन वाली दवाएं बिकवाई जा सके।
2.  दावाओं पर बाहुबलियों, दलालों की ठेकेदारी प्रथा है, एक कंपनी की दवा का एक ठेकेदार है पर नगर में बिकने वाली दूसरी कंपनी की दवा का दूसरा ठेकेदार है जो मुख्य चिकित्सा अधिकारी के चेंबर में बैठकर अपनी अपनी दवा लिखवाने की निगरानी करते हैं।
3. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी बिना लगाम के घोड़े जैसे हो गए हैं जिन पर कोई नियम कानून और अंकुश नहीं है इन सबका खामियाजा  गरीब मरीजों को अत्यधिक धन खर्च और असुविधा युक्त स्वास्थ्य केंद्र के वातावरण से उठाना पड़ता है
नगर की जनता ने ज्ञापन के माध्यम से सूचित भी किया है कि अगर 15 दिवस में उक्त स्थिति का संज्ञान लेकर व्यवस्था में सुधार नहीं की जाती है तो हमें उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

रिपोर्ट उदय नारायण अवस्थी

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