प्रयागराज तीर्थ क्षेत्र घोषित हो, मांस मदिरा का सार्वजनिक उपयोग पर बन्द हो, बांग्लादेश में हिंदुओं की हिंसा पर निंदा प्रस्ताव

प्रयागराज। धरमपेठ, ज्ञानपीठ, विद्यापीठ और विद्वत जनों का साझा मंच प्रयागराज विद्वत् परिषद की एक बैठक आज आलोप शंकरी देवी में हुई जिसमें प्रयागराज को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने का आग्रह उत्तर प्रदेश सरकार से किया गया। साथ ही बांग्लादेश में हिंदुओं के लगातार कत्लेआम पर चिंता व्यक्त करते हुए आक्रोश व्यक्त किया गया तथा सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की गई।
बैठक में प्रयागराज के सभी प्रमुख संतो महात्माओं ने तथा विद्वत जनों ने एक स्वर से
तीर्थराज प्रयागराज में संगम को केन्द्र मानकर 5 कोस की परिधि को तीर्थ क्षेत्र घोषित किये जाने का आग्रह सरकार से किया।
वक्तताओं ने कहा कि सनातन धर्म के लोगों के लिए तीर्थराज प्रयागराज का सर्वश्रेष्ठ है। प्रमुख महत्व है, ऐसे में वैष्णव आचार्यों के लिए यह असहज हो जाता है कि खुलेआम मांस मदिरा का प्रयोग हो। प्रस्ताव पास करके कहा गया कि तीर्थ क्षेत्र में मांस मदिरा पर सार्वजनिक उपयोग प्रदर्शन पर प्रतिबंध हो।
इसी के साथ प्रयागराज विद्वत परिषद में पहले पास हो चुके प्रस्ताव के तहत प्रयागराज के वैदिक/पौराणिक तीर्थ / आश्रम का संरक्षण और जागरण किए जाने की मांग की गई।
प्रयागराज मेला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की गई कि सनातन धर्म के इन तीर्थों के संरक्षण कार्य के लिए सभी तीर्थ और आश्रमों में सार्वजनिक पहचान के लिए बोर्ड लगाए जाएं । उनके बारे में भी लिखा जाए जिससे तीर्थ यात्री उसे तीर्थ के महत्व को समझ सकें।
एक प्रस्ताव के तहत शास्त्रों के अनुसार प्रयागराज के देवता माधव के नाम घाटों का नाम हो। सभी जगह बोर्ड में इनका वर्णन हो।
घाटों की विशेष सफाई व्यवस्था का भी प्रस्ताव पारित किया गया।
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द इस क्षेत्र को तीर्थ क्षेत्र घोषित करें। प्रयागराज के प्रमुख संत टीकर माफी ने कहा कि प्रयागराज विश्व में अलौकिक है महाकुंभ और आगे को देखते हुए इसको तीर्थ क्षेत्र जल्द से जल्द घोषित किया जाए तथा मांस मदिरा का प्रयोग पूरी तरह बंद हो।
बैठक में करने वाली अखाड़े के महंत और परिषद के प्रमुख मार्गदर्शक संत यमुना पुरी ने कहा कि पंचकोश के क्षेत्र में सरस्वती विराजती हैं ऐसे में हिंसा और मांस मदिरा का प्रयोग सार्वजनिक तौर पर पूरी तरह प्रतिबंध लगना चाहिए।
परिषद के अगुवा न्यायमूर्ति सुधीर नारायण ने कहा कि सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि तीर्थराज को तीर्थ क्षेत्र सरकार घोषित करें और उसका विकास उसी के अनुरूप किया जाए।
सभी प्रस्ताव परिषद के समन्यवयक वीरेन्द्र पाठक ने रखे। जिसपर राय रखने के बाद सभी ने एक स्वर से पास करके पास किया और इसे सरकार और प्रशासन के पास भेजने की संस्तुति की।
बैठक में प्रयागराज के प्रमुख संत सिद्ध आचार्य ने कहा कि वैष्णव आचार्यों के लिए गली-गली में बिक रहे मांस मदिरा को अब सहना मुश्किल हो रहा है। बैठक में आचार्य चंद्र देव फलहारी बाबा , संडिल्य गुरु जगतगुरु नारायणाचार्य, विपिन जी, छोटे महराज टीकरमाफी डा ब्रजेन्द्र मिश्र, विशाल जी प्रो के बी पाण्डेय शरद मिश्र, सुनीता मिश्र, डा प्रभाकर त्रिपाठी शैलेंद्र अवस्थी, डा श्रवण कुमार मिश्र रवि पाठक अभिषेक मिश्र, विक्रम मालवीय, राहुल दुबे आशुतोष शुक्ला सुधीर द्विवेदी, शशिकांत मिश्र डा तेज प्रकाश चतुर्वेदी,

