हाईकोर्ट ने प्रदेश के वकीलों के आपराधिक मामलों का पूरा ब्यौरा तलब किया, कहा—रसूखदार पदों पर बैठे अपराधी वकील कानून के शासन के लिए खतरा

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) और डीजीपी अभियोजन को राज्यभर में पंजीकृत अधिवक्ताओं के खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामलों का विस्तृत विवरण पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि जिन वकीलों पर गंभीर आपराधिक आरोप लंबित हैं और जो बार एसोसिएशनों में प्रभावशाली पदों पर बैठे हैं, वे कानून के शासन (Rule of Law) के लिए संभावित खतरा पैदा करते हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने अधिवक्ता मोहम्मद कफील की याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया। कफील ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज परिवाद को खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। सुनवाई में यह तथ्य सामने आया कि स्वयं याची गैंगस्टर एक्ट सहित कई गंभीर मामलों में आरोपी है और उसके भाई भी कुख्यात अपराधी हैं।
कोर्ट ने कहा कि यह स्वीकार तथ्य है कि याची तीन आपराधिक मामलों में अभियुक्त है और उसके सभी भाई हत्या के प्रयास, गोहत्या, जुआ अधिनियम, गैंगस्टर एक्ट और पॉक्सो जैसे गंभीर अपराधों में नामजद हैं। अदालत ने वकीलों की आपराधिक पृष्ठभूमि को न्यायिक व्यवस्था की नैतिक वैधता और निष्पक्षता के लिए हानिकारक बताते हुए गहरी चिंता व्यक्त की।
अदालत ने कहा—
“कानूनी प्रणाली की शक्ति केवल कानूनों से नहीं, बल्कि जनता के भरोसे से आती है। अधिवक्ता न केवल कोर्ट के अधिकारी होते हैं, बल्कि पेशेवर नैतिकता के संरक्षक भी हैं। ऐसे में यदि गंभीर आपराधिक इतिहास वाला व्यक्ति ऐसे संस्थागत पदों पर बैठा हो जहां से वह पुलिस और न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है, तो यह शासन व्यवस्था के लिए घातक है।”
कोर्ट ने राज्यभर के सभी कमिश्नरों, एसएसपी/एसपी और संयुक्त निदेशक अभियोजन को निर्देश दिया है कि वे यूपी बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों के खिलाफ लंबित मामलों का विस्तृत रिकॉर्ड प्रस्तुत करें। इसमें निम्न विवरण अनिवार्य होंगे—
एफआईआर नंबर, अपराध की धारा और थाना
एफआईआर दर्ज होने की तिथि
विवेचना की वर्तमान स्थिति
चार्जशीट दाखिल होने की तिथि
आरोप तय होने का विवरण
अब तक परीक्षित गवाह
ट्रायल की वर्तमान स्थिति
पुलिस से संबंधित सभी अभिलेख डीजीपी प्रस्तुत करेंगे और अभियोजन से जुड़े अभिलेख डीजीपी अभियोजन द्वारा दाखिल किए जाएंगे। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि किसी स्तर पर ढिलाई हुई, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा।
कफील की याचिका इटावा के अपर सत्र न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती देने के लिए दाखिल की गई थी, जिसमें सीजेएम द्वारा पुलिस अधिकारियों को तलब करने की मांग खारिज करने का आदेश बरकरार रखा गया था।
राज्य सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में याची और उसके पांच भाइयों—शकील, नौशाद, अकील, फैजान उर्फ गुडून और दिलशाद—के खिलाफ लंबित गंभीर मामलों का विस्तृत ब्योरा भी अदालत के सामने रखा गया। याची ने अपने पूरक हलफनामे में आरोप स्वीकार किए, हालांकि उसने पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाया।
इटावा कोतवाली के इंस्पेक्टर द्वारा दाखिल हलफनामे में पुष्टि की गई कि याची तीन गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल है।

