सामाजिक एवं आर्थिक न्याय का जीता जागता विधान है भारतीय संविधान – प्रोफेसर पंकज कुमार

राष्ट्र की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखता है संविधान- प्रोफेसर सत्यकाम
मुविवि में भारतीय संविधान कल, आज और कल पर व्याख्यान का आयोजन
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में बुधवार को संविधान दिवस के उपलक्ष्य में समाज विज्ञान विद्याशाखा के तत्त्वावधान में भारतीय संविधान कल, आज और कल विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
व्याख्यान के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर पंकज कुमार, राजनीति विज्ञान विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने अपने वक्तव्य में भारतीय संविधान के निर्माण में स्वतंत्रता पूर्व और उसके पश्चात किए गए प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान सामाजिक एवं आर्थिक न्याय का जीता जागता विधान है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 में 18 दिन का समय लगने का मुख्य कारण था कि संविधान उन मुद्दों के समाधान को ढूँढने का प्रयास कर रहा था जो स्वाधीनता संग्राम में छूटे रह गए थे। उन्होंने बताया कि संविधान एक गत्यात्मक अवधारणा है जिसमें देश काल और परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तन सहज ही हो जाते हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि भारतीय संविधान मात्र एक विधिक दस्तावेज नहीं बल्कि एक समतामूलक समाज के निर्माण का साधन है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान स्वयं में एक विस्तृत धर्म है जिसमें परंपरा, विरासत, विश्वास, नई ऊर्जा और नए उद्देश्य का समावेश है। संविधान राष्ट्र की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखता है जो व्यक्ति की गरिमा के लिए अवश्यक है। उन्होंने कहा कि संविधान की आत्मा एवं आदर्शों के अनुरूप हम सब को राष्ट्र की एकता एवं अखंडता हेतु खुद को आपस में जोड़ना होगा।
इस अवसर पर डॉ त्रिविक्रम तिवारी, सहायक निदेशक एवं सहायक आचार्य, समाज विज्ञान विद्याशाखा द्वारा संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में समाज विज्ञान विद्याशाखा के निदेशक प्रोफेसर एस कुमार ने विषय प्रवर्तन किया और कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव प्रोफेसर आनंदानन्द त्रिपाठी, समाज विज्ञान विद्याशाखा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर संजय कुमार सिंह ने किया इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विद्याशाखाओं के निदेशक, आचार्य, सह आचार्य, सहायक आचार्य एवं शोध छात्र आदि उपस्थित रहे।

