CJI गवई ने नेपाल के हालात को लेकर केन्द्र के वकीलों को चेताया, कहा – देखिए पड़ोसी देशों में क्या हो रहा, हमें अपने संविधान पर गर्व
नेपाल के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई है. प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई के दौरान कांस्टीट्यूशन बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा, हमें अपने संविधान पर गर्व है. पड़ोसी देशों की ओर देखिए. नेपाल में हमने देखा. इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, और बांग्लादेश में भी.
देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने नेपाल में सरकार के खिलाफ हुए जनता के विद्रोह का जिक्र करते हुए बुधवार को कहा कि पड़ोसी देशों में जो घटनाए घट रही हैं, उन्हें देखकर हमें अपने संविधान पर गर्व है.
सीजेआई गवई ने केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पेश किए जा रहे आंकड़ों को रोकते हुए यह टिप्पणी की, जिनमें दावा किया गया था कि राज्यपालों ने विधानसभा से पारित बहुत कम विधेयकों को रोक रखा है. संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे सीजेआई बीआर गवई की टिप्पणी से सहमति व्यक्त करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ ने पिछले साल पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुए विद्रोह और तख्तापलट का उदाहरण दिया.
*पीठ ने की टिप्पणी*
दोनो जस्टिसों ने कहा कि ये दोनों (नेपाल, बांग्लादेश) ही घटनाएं इस बात की कड़ी याद दिलाती हैं कि संवैधानिक विखंडन किस तरह राष्ट्रों को उथल-पुथल में धकेल सकता है. SC ने यह टिप्पणी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा विधेयकों में देरी के आरोपी राज्यपालों का बचाव करते हुए की गई.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 1970 से 2025 तक केवल 20 विधेयक ही राष्ट्रपति के पास रखे गए थे. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 90% राज्य विधेयक एक महीने के भीतर ही पारित हो जाते हैं. तुषार मेहता की इस टिप्पणी पर मुख्य न्यायाधीश ने आपत्ति जताई.
*CJI ने जताई आपत्ति*
सीजेआई ने तुषार मेहता से कहा कि “हम आँकड़े नहीं ले सकते. यह उनके साथ न्याय नहीं होगा. हमने उनके आँकड़े नहीं लिए, तो आपके आँकड़े कैसे ले सकते हैं ?” उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा पहले पेश किए गए आंकड़ों पर आपत्ति जताई.
दरअसल हुआ कुछ यूं कि प्रेसिडेंशियल रेफरेंस मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ अलग-अलग पक्षों को सुन रही थी. इसी बीच सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने भी बहस में हिस्सा लिया. उन्होंने संविधान की शक्ति पर जोर देते हुए इमरजेंसी का जिक्र किया. तुषार मेहता ने कहा, जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तब जनता ने ऐसा सबक सिखाया कि न सिर्फ कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, बल्कि इंदिरा गांधी अपनी सीट भी हार गईं. इसके बाद दूसरी सरकार आई, लेकिन जब वह जनता को संभाल न पाई तो उसी जनता ने इंदिरा गांधी को दोबारा सत्ता में पहुंचा दिया. यही संविधान की ताकत है. इस पर CJI गवई ने तुरंत जोड़ा, वो भी प्रचंड बहुमत के साथ. एसजी ने सहमति जताते हुए कहा, हां, यही हमारे संविधान की ताकत है और यह राजनीतिक तर्क नहीं, बल्कि सच्चाई है…