” इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब” अनुशासन और लोकतंत्र की मिसाल
” इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब” अनुशासन और लोकतंत्र की मिसाल
*2007 में स्थापित हुआ अनुशासित क्लब, जो बना आदर्श*
प्रयागराज। 2007 में जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तेजी से उभर रहा था, उसी समय प्रयागराज में “इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब” की स्थापना की गई। इस क्लब की सबसे बड़ी खासियत थी कि इसमें प्रतिवर्ष लोकतांत्रिक तरीके से अध्यक्ष और सचिव का चुनाव अनिवार्य किया गया।
इस नियम के पीछे साफ उद्देश्य था—कोई भी पदाधिकारी पद से चिपक न सके। अगर कोई पदाधिकारी निष्क्रिय या पक्षपातपूर्ण पाया गया, तो उसे एक साल के भीतर पद से हटा दिया जाएगा।
आज भी यह क्लब अपने सिद्धांतों पर कायम है और पत्रकारों के हित और आम जनता की आवाज को बुलंद करता चला आ रहा है। इसकी कई शाखाएं भी बन चुकी हैं, लेकिन मूल क्लब अब भी अनुशासन और लोकतंत्र की मिसाल बना हुआ है।
*यहां महत्वाकांक्षा नहीं, ईमानदारी की होती है कद्र*
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब में पद के प्रति निष्ठा और ईमानदारी को प्राथमिकता दी जाती है। जो पत्रकार अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते, उन्हें अगले चुनाव तक पद छोड़ना पड़ता है। यह क्लब उन लोगों का मंच है, जो पत्रकारिता को सेवा मानते हैं, न कि स्वार्थ सिद्धि का माध्यम।
प्रयागराज में जहां एक ओर पुराना प्रेस क्लब अपनी साख और संरचना को संभालने में विफल रहा है, वहीं दूसरी ओर 2007 में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब एक आदर्श मॉडल के रूप में खड़ा है, जो पत्रकारिता की गरिमा और लोकतंत्र दोनों को मजबूती दे रहा है।