March 12, 2025

कुम्भ हमारी हजारों वर्षां की विरासत का हिस्सा रहा, प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रयागराज महाकुम्भ-2025 दिव्य, भव्य व डिजिटल रूप में आयोजित किया गया : मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने आई0आई0एम0 लखनऊ व भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों के साथ ‘महाकुम्भ द्वारा राष्ट्र निर्माण’ विषयक संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित किया

कुम्भ हमारी हजारों वर्षां की विरासत का हिस्सा रहा, प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रयागराज महाकुम्भ-2025 दिव्य, भव्य व डिजिटल रूप में आयोजित किया गया : मुख्यमंत्री

यह आयोजन प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने का माध्यम बना

एकता के इस महाकुम्भ में जो जिस भावना से डुबकी लगा रहा था, उसे उसी प्रकार की अनुभूति प्राप्त हुई

प्रयागराज महाकुम्भ आस्था व आर्थिकी का संयोग साबित हुआ, प्रदेश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई

कुम्भ मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं के अलावा प्रयागराज शहर व प्रयागराज के आसपास के जनपदों में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट व श्रद्धालुओं से जुड़ी व्यवस्थाओं को विकसित किया गया

प्रयागराज में अक्षयवट कॉरिडोर, भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर, हनुमान मन्दिर कॉरिडोर, श्रृंगवेरपुर कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर सहित विभिन्न कॉरिडोर बनाए गए

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डिजिटल टूरिस्ट मैप जारी किया गया

सुरक्षा के लिए 2,700 सी0सी0टी0वी0 स्थापित किए गए, महाकुम्भ में पहली बार एण्टी ड्रोन सिस्टम लगाया गया

45 दिवसीय इस महाआयोजन में राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, विभिन्न राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रिगण, 12 देशों के राष्ट्राध्यक्ष व मंत्रिगण, 74 देशों के राजनयिकों और 100 से अधिक
देशों से आए विदेशी नागरिकों ने आस्था की डुबकी लगायी

लखनऊ : 03 मार्च, 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि कुम्भ हमारी हजारों वर्षां की विरासत का हिस्सा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से प्रयागराज महाकुम्भ-2025 दिव्य, भव्य व डिजिटल रूप में आयोजित किया गया। महाकुम्भ में देश व दुनिया के 66 करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगायी। यह आयोजन प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने का माध्यम बना है। आस्था की डुबकी लगा रहे लोगों में जाति, क्षेत्र, भाषा, पंथ का भेद नहीं था। भारत के सनातन धर्म से जुड़े इस आयोजन ने पूरे भारत को जोड़ने का कार्य किया है। एकता के इस महाकुम्भ में जो जिस भावना से डुबकी लगा रहा था, उसे उसी प्रकार की अनुभूति प्राप्त हुई।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर आई0आई0एम0 लखनऊ व भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों के साथ ‘महाकुम्भ द्वारा राष्ट्र निर्माण’ विषयक संवाद कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ आस्था व आर्थिकी का संयोग साबित हुआ है। केन्द्र व राज्य सरकार ने मिलकर साढ़े सात हजार करोड़ रुपये महाकुम्भ में खर्च किए, जिसमें लगभग 06 हजार करोड़ रुपये प्रयागराज शहर व प्रयागराज के आस-पास के जनपदों में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट में खर्च किए गए। महाकुम्भ के आयोजन से प्रदेश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने प्रयागराज कुम्भ-2019 को स्वच्छता, सुरक्षा, सुव्यवस्था का पर्याय बनाया था। जबकि इससे पूर्व लोगों के मन में कुम्भ के प्रति भगदड़, अव्यवस्था, गन्दगी की धारणा थी। लोगों की इस धारणा के विपरीत राज्य सरकार ने कुछ नया करके दिखाया। समस्या के बारे में ज्यादा सोचने से बहाना मिलता है, लेकिन जब हम समाधान की ओर जाते हैं, तो उसके अनेक रास्ते मिलते हैं। यही समाधान ही इनोवेशन है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज कुम्भ-2019 के आयोजन ने पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया। वर्ष 2013 के कुम्भ आयोजन में मॉरीशस के प्रधानमंत्री आए थे और वह गंगा जी को दूर से प्रणाम करके चले गये थे। उन्होंने गंगा जी में गन्दगी को लेकर टिप्पणी की थी। राज्य सरकार ने प्रयागराज कुम्भ-2019 में स्वच्छता के लिए विशेष प्रबन्ध किये। एक लाख शौचालय व टैंक की व्यवस्था की। यह सुनिश्चित किया कि शौचालय का लिक्विड डिस्चार्ज गंगा जी व यमुना जी में कतई न जाने पाए।
मेला क्षेत्र में साफ-सफाई नियामित रूप से हो तथा हर शिविर में शुद्ध जल की व्यवस्था हो। कार्मिकों की तैनाती दो माह पूर्व की गयी। कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। साथ ही, जवाबदेही भी तय की गयी। पुलिस कार्मिकों को कुशल व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया गया। क्राउड मैनेजमेण्ट व सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गयी। प्रयागराज शहर के अतिक्रमण को हटाया गया तथा शहर का कायाकल्प किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ-2025 के स्केल का राज्य सरकार को अनुमान था कि इस आयोजन में प्रयागराज कुम्भ-2019 से दोगुनी संख्या में श्रद्धालु जुड़ेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने नवम्बर, 2022 से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। यह तय किया गया कि महाकुम्भ-2025 से सम्बन्धित सभी कार्य 10 दिसम्बर, 2024 तक सम्पन्न हो जाएं। कुम्भ मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं के अलावा प्रयागराज शहर व प्रयागराज के आसपास के जनपदों में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट व श्रद्धालुओं से जुड़ी व्यवस्थाओं को विकसित किया गया। यह कार्य दोगुनी रफ्तार में किए गए, जिसमें जनप्रतिनिधियों व प्रयागराज शहरवासियों का सहयोग भी हमें प्राप्त हुआ।
प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में इस बार महाकुम्भ 04 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में विस्तृत था और 25 सेक्टरों में विभाजित था। 30 पाण्टून पुल बनाए गए। लगभग 500 कि0मी0 की चेकर्ड प्लेटें बिछायी गयीं। डेढ़ लाख शौचालयों और 01 लाख से अधिक टेण्ट की व्यवस्था की गयी। पेयजल व स्ट्रीट लाइट की समुचित व्यवस्था की गयी। 08 हजार से अधिक संस्थाओं ने महाकुम्भ में भाग लिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाकुम्भ 2025 के उपलक्ष्य में प्रयागराज में वर्ष 2025 में 200 से अधिक सड़कों का चौड़ीकरण किया गया। 2-लेन की सड़क को 4-लेन, 4-लेन की सड़क को 6-लेन किया गया। 14 नए फ्लाईओवर, 09 पक्के घाट तथा 07 रिवर फ्रण्ट मार्गों का निर्माण किया गया है। इस बार 12 किलोमीटर का अस्थायी घाट बनाया गया है। महाकुम्भ में पहली बार चेंजिंग रूम बनाए गए। प्रयागराज जंक्शन के साथ-साथ 09 रेलवे स्टेशनों का विस्तारीकरण किया गया। रेलवे स्टेशनों में होल्डिंग एरिया विकसित किए गए। प्रयागराज एयरपोर्ट के नये टर्मिनल का निर्माण किया गया।
प्रयागराज में 05 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में पार्किंग की सुविधा विकसित की गयी। इसकी क्षमता 06 लाख बसों तथा चार-पहिया वाहनों की थी। इसके अतिरिक्त, प्रयागराज के आसपास के जनपदों में भी पार्किंग स्पेस व होल्डिंग एरिया तैयार किए गए। यहां पर श्रद्धालुओं के खाने-पीने व शौचालय की भी व्यवस्था की गयी। इन पार्किंग एरिया में क्राउड मैनेजमेण्ट के लिए 02 लाख वाहन खड़े किए गए थे। प्रयागराज में अक्षयवट कॉरिडोर, भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर, हनुमान मन्दिर कॉरिडोर, श्रृंगवेरपुर कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर सहित विभिन्न कॉरिडोर बनाए गए हैं। इसके अलावा, दशाश्वमेध घाट व मन्दिर, नागवासुकी मन्दिर या द्वादशमाधव के मन्दिरों का जीर्णोद्धार किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ-2025 डिजिटल महाकुम्भ था, जिसने युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया। ए0आई0 आधारित चैटबॉट विकसित किया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डिजिटल टूरिस्ट मैप जारी किया गया। क्यू0आर0 कोड के माध्यम से विभिन्न सुविधाओं को मुहैया कराने का कार्य किया गया। सुरक्षा के लिए 2,700 सी0सी0टी0वी0 स्थापित किए गए। यह सी0सी0टी0वी0 कैमरे आई0सी0सी0सी0 से इण्टीग्रेटेड थे। महाकुम्भ में पहली बार एण्टी ड्रोन सिस्टम लगाया गया।
महाकुम्भ 2025 में जल की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़े करने के प्रयास किए गए। महाकुम्भ में 261 एम0एल0डी0 के 81 नालों को टैप कर एस0टी0पी0 अथवा बायो-रेमेडिएशन और जियो ट्यूब के माध्यम से प्रबन्धित किया गया है। इस जल को उपचार के बाद ही छोड़ा गया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगातार जल की मॉनीटरिंग की। आज की रिपोर्ट के अनुसार संगम तथा उसके आसपास के क्षेत्र में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड तीन अथवा उससे कम है। डिसॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा 8-9 से अधिक पायी गयी और फीकल कॉलिफॉर्म नियंत्रित मात्रा से कम पाया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 45 दिवसीय इस महाआयोजन में पौष पूर्णिमा में लगभग 02 करोड़ श्रद्धालुओं, मकर संक्रांति में साढ़े तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं, मौनी अमावस्या में 08 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं, बसंत पंचमी में ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं, माघी पूर्णिमा में 02 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं तथा महाशिवरात्रि में लगभग 02 करोड़ श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगायी। महाकुम्भ में राष्ट्रपति जी, उपराष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, विभिन्न राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रिगण, 12 देशों के राष्ट्राध्यक्ष व मंत्रिगण, 74 देशों के राजनयिकों और 100 से अधिक देशों से आए विदेशी नागरिकों ने आस्था की डुबकी लगायी। महाकुम्भ में उद्यमी, फिल्म जगत, खेल जगत सहित आम नागरिकों की सहभागिता थी। देश-दुनिया से आए सभी लोग महाकुम्भ से अभिभूत होकर गए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज शहर की क्षमता 25 लाख लोगों को समाहित करने की है, जबकि महाकुम्भ में प्रयागराज में एक दिन में करोड़ों लोग उपस्थित थे। जब मौनी अमावस्या के दिन दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई, उस समय प्रयागराज में मेला क्षेत्र में 05 करोड़ से अधिक श्रद्धालु थे। भगदड़ में घायल हुए श्रद्धालुओं के लिए लोगों ने 15 मिनट में ग्रीन कॉरिडोर बनाने का कार्य किया। सभी घायलों को इलाज के लिए तत्काल अस्पताल ले जाने का कार्य किया गया। यह सिद्ध करता है कि आध्यात्मिक भावना से ओत-प्रोत भीड़ अनुशासित भी होती है। धार्मिक आयोजन में श्रद्धाभाव से आए लोगों को उनके गंतव्य तक जाने का मार्ग देना चाहिए, तभी व्यवस्था बनती है। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान में भीड़ प्रबन्धन हमारे लिए चुनौती थी। हमने धैयपूर्वक समय रहते निर्णय लेकर व लोगों से संवाद कर परिस्थिति को नियंत्रित करने का कार्य किया।
मुख्यमंत्री जी ने श्रीमद्भगवद्गीता को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्’ अर्थात् ‘जो मुझे जिस दृष्टि से देखता है, जिस रूप में भजता है, मैं उसको उसी रूप में दिखायी देता हूं।’ उन्होंने कहा कि जिसने जिस रूप में महाकुम्भ को देखा, उसको वहां उस रूप के दर्शन हुए। हर तबके के व्यक्ति को उसके अनुरूप वहां सामग्री मिली। दुनिया के मीडिया जगत से जुड़े प्रतिष्ठित संस्थानों ने महाकुम्भ के आयोजन के सम्बन्ध में बातें कही हैं। द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा है कि यह एक ऐसा आयोजन था, जहां अमेरिका की कुल आबादी से ज्यादा लोग जुटे। यू0एस0ए0 की कुल आबादी से लगभग दोगुनी आबादी इस आयोजन का हिस्सा बनी।
बी0बी0सी0 के अनुसार महाकुम्भ मानवता का सबसे बड़ा समागम था। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समारोह बताया। द न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि इस आयोजन में केवल श्रद्धालु और पर्यटक नहीं, बल्कि नेता और हस्तियां भी पहुंचीं। राइटर ने लिखा कि यह डिजिटल कुम्भ था, जिसमें व्यवस्था बनाने के लिए तकनीक का बेहतर इस्तेमाल किया गया। द गार्जियन ने लिखा कि यह पर्वां का पर्व था। लोगों की उमंग और उत्साह चरम पर रहा। सी0एन0एन0 ने लिखा कि दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में 60 करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए। यह आस्था की अभिव्यक्ति का शानदार नजारा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यूनेस्को के डायरेक्टर श्री टिम कार्टिस महाकुम्भ में भागीदार बने। यूनेस्को ने वर्ष 2019 में कुम्भ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी थी। इससे पहले वर्ष 2023 से इसके सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी की जा रही थी। कुम्भ मेला सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर के रूप में विश्व को एक नई दृष्टि प्रदान करता है। यह भारत के प्रति दुनिया को एक दृष्टि देता है।

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