राज्यपाल ने सतत विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
राज्यपाल ने सतत विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
कुलाधिपति ने पूर्वांचल की झांकी का किया अवलोकन
राज्यपाल ने किया निःशुल्क सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ
विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतिभागियों को राज्यपाल ने किया सम्मानित
हीरक जयंती के अवसर पर कुलाधिपति ने दिया सुदृढ़ देश व समाज का मन्त्र
कुलाधिपति ने मौजूदा सभ्यता-समीक्षा के साथ समाज की शक्ति का कराया एहसास
लखनऊ : 03 मार्च, 2025। प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हीरक जयंती समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली स्वास्थ्य, पर्यावरण और सतत विकास के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए निकाली गई, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
विश्वविद्यालय के गौरवशाली 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने कहा कि मनुष्य 75 वर्ष की आयु में कमजोर होने लगता है, जबकि गोरखपुर विश्वविद्यालय ने सही अर्थों में अपनी युवावस्था को प्राप्त किया है। आज के युवा कल के विकसित भारत के कर्णधार हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र से ऐसे बच्चे आगे निकलें जो देश को नेतृत्व प्रदान कर सकें। आंगनबाड़ी से लेकर विश्वविद्यालय तक जितनी गतिविधियां बढ़ेंगी भारत उतना ही मजबूत बनेगा। हीरक जयंती के अवसर पर आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक कुशीनगर, देवरिया और गोरखपुर के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इनमें गांव में बसने वाले अधिकांश ऐसे भी विद्यार्थी हैं जो असुविधा में रहकर भी अपने प्रतिभा के दम पर आज गोल्ड मेडल प्राप्त कर रहे हैं। जो आज नौनिहाल हैं वो कल देश का भविष्य होंगे। उन्हें अपने साथ जोड़ने के लिए विश्वविद्यालय बधाई का पात्र है। सच्चे अर्थों में हीरक जयंती की यही सार्थकता भी है। इस समारोह में अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों मौजूद हैं।
उन्होंने भविष्य के लिए अपेक्षा प्रकट करते हुए कहा कि विज्ञान, खेल, भाषण, लेखन व काव्य प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के बीच निरंतर होती रहनी चाहिए। विषय ऐसे चुने जाने चाहिए, जो समाज से जुड़े हुए हों। जिन मुद्दों पर हम समझ में जागरूकता व सुधार लाना चाहते हैं, उन बिंदुओं पर प्रतियोगिताओं के माध्यम से प्रतिभागी करने वाले विद्यार्थी ही कल के समाज का निर्माण करने वाले होंगे। इस दृष्टि विश्वविद्यालय या महाविद्यालय को अपने किसी भी तरह के उत्सव अथवा विविध प्रकार की गतिविधियों को समाज से जोड़कर आकार देना चाहिए। गोरखपुर विश्वविद्यालय की हीरक जयंती का समारोह इस दृष्टि से एक अच्छा उदाहरण बनकर उभरा है।
साइकिल यात्रा, जो विभिन्न विषयों पर जागरूकता फैलाने के साथ 3 दिन में सैकड़ो किलोमीटर की यात्रा करते हुए लौटेंगी के संदर्भ में कुलाधिपति महोदया ने बड़ा विजन रखते हुए बताया कि लाल चौक पर तिरंगा फहराने की चुनौती को स्वीकार करते हुए 26 जनवरी की सुबह आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई ने पूरे स्वाभिमान के साथ निर्भय होकर तिरंगा फहराया. यह साहसिक व ऐतिहासिक भारत को जोड़ने वाली यात्रा 45 दिनों तक चली। उस पूरी यात्रा का आयोजन मौजूदा प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने की थी। तब लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया और आज तेजी से विकसित हो रहा कश्मीर हमारे सामने है। परिवर्तन का बीज यात्राओं में निहित है। जो राष्ट्रवादी युवा है वही परिवर्तन कर सकते हैं। देशभक्ति से ओत-प्रोत लोग ही देश बना सकते हैं। यह साइकिल यात्रा सामान्य लग सकती है, किंतु इसका लक्ष्य बड़ा एवं पुनीत है। यह यात्रा समाज में बुनियादी परिवर्तन के रचनात्मक व सार्थक लक्ष्यों को लेकर निकली है।
महिला सशक्तिकरण एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को संदर्भित करते हुए महामहिम कुलाधिपति महोदय ने कहा कि मौजूदा भारत में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां पर महिलाओं की उपस्थिति न हो। महिलाओं ने अपने को हर क्षेत्र में प्रमाणित किया है। जबकि दुनिया के कई मुल्कों में महिलाएं किचन और बच्चों तक ही सीमित हैं, वहीं भारत की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। इसमें समाज व सरकार दोनों की रचनात्मक भूमिका है। आज शिक्षण संस्थानों में बेटियों की संख्या बेटों से ज्यादा हो रही हैं। आने वाले 20 वर्षों में भारत में स्त्रियों की स्थिति इतनी सुदृढ़ होगी कि प्रतिभा एवं कार्य कौशल के प्रत्येक क्षेत्र में स्त्रियां 80 फीसदी नजर आएंगी। जैसे आज स्त्रियों के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, आज से 20 साल बाद ऐसे ही योजनाएं पुरुषों के लिए चलानी पड़ेगीं। यहां हमें यह भी सोचना पड़ेगा कि आखिरकार बेटे आगे क्यों नहीं आ रहे?
कुलाधिपति जी ने अपने संबोधन में छोटे-छोटे किंतु कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर युवाओं को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि आजकल युवाओं में जो रील बनाने की प्रवृत्ति दिख रही है, उसके प्रति उन्हें बेहद सावधान होना होगा। ऐसा ना हो कि युवा रील के चक्कर में अपने सुनहरे भविष्य से भटक जाएं।
उन्होंने कहा कि युवाओं को नशा और दहेज के प्रति विशेष सजग होने की जरूरत है। उन्हें प्रतिज्ञा करने की जरूरत है की हम स्वयं को इससे दूर रखेंगे। नशे की लत व दहेज के लेनदेन से दूर रहने वाले युवाओं को कभी कोई हरा नहीं सकता। उन्होंने कहा कि युवाओं को मोबाइल और पुस्तकालय के बीच समन्वय स्थापित करना होगा। उन्हें समझना होगा कि हमें कितना समय, कहां देना है।
सर्वाइकल कैंसर व टी0वी0 मुक्त भारत बनाने की दिशा में माननीय कुलाधिपति काफी गंभीर नजर आयीं। उन्होंने बताया कि 2 वर्ष पहले सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ वैक्सीनेशन की शुरुआत उन्होंने राजभवन से किया। राज्यपाल जी ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक जिम्मेदारी के तहत शुरू किए गए निःशुल्क सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण अभियान शुभारम्भ किया। अभियान के तहत कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खोराबार तथा चरगांवा की छात्राओं को इनर व्हील क्लब ऑफ़ गोरखपुर एवं प्रो एस एस दास द्वारा प्रदत्त जीवन रक्षक एचपीवी वैक्सीन लगाई गई। राज्यपाल जी द्वारा वैक्सिनेटेड बच्चों को प्रमाण पत्र भी दिया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल महिलाओं के स्वास्थ्य संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने हीरक जयंती के अवसर पर समाज के सहयोग से बेटियों के वैक्सीनेशन का शुभारंभ किया है। यह समाज के प्रति दायित्वबोध का सीधा और सुंदर उदाहरण है। इसमें हमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि सारे काम सरकार नहीं कर सकती। जैसे वृद्धाश्रमों की बढ़ती हुई संख्या समाज के प्रयास व परिवार के संस्कारों से ही नियंत्रित हो सकती है।
विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा पूर्वांचल के झांकी की प्रस्तुति की गई। झांकी में छात्राएं गुरु गोरखनाथ, गौतम बुद्ध तथा कबीर दास आदि के रूप में दिखाईं दी। छात्राओं द्वारा शिव स्तुति तथा शिव मंदिर पर आधारित झांकी भी प्रस्तुत की गई थी।
इसके अतिरिक्त झांकी में सूप से चावल साफ करती हुई महिला, धान चकिया चलाती हुई महिला, चटनी पिसती हुई महिला, धान रोपती हुई महिला तथा कुटीर उद्योग चलती हुई महिला आदि को दर्शाया गया था। झांकी में पूर्वांचल के प्रमुख व्यंजन भी शामिल थे।
हीरक जयंती समारोह के तहत विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न सांस्कृतिक, साहित्यिक और खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर जनपदों के प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इन प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतिभागियों को राज्यपाल जी ने मेडल और प्रमाणमत्र देकर सम्मानित किया और उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
हीरक जयंती समारोह के अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि पिछले कई महीनों से चल रहे 100 से अधिक कार्यक्रम विविधता के साथ-साथ उत्साह और उमंग का उदाहरण हैं। शोध, शिक्षा व नवाचार की हमारी उपलब्धियों के पीछे माननीय कुलाधिपति जी की प्रेरणा व मार्गदर्शन है। हमारा अतिशय सौभाग्य है कि इस परिसर को हमेशा से माननीया कुलाधिपति जी का विशेष स्नेह, आशीष और मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है। विगत वर्षों में विश्वविद्यालय ने शोध, शिक्षा और नवाचारों के क्षेत्र में जो भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं उसके पीछे उन्हीं की प्रेरणा और मार्गदर्शन रहा है। परन्तु आज मैं माननीय कुलाधिपति जी को उनकी उस दूरदर्शी प्रेरणा के लिए हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहती हूं, जिसके चलते आज का कार्यक्रम संभव और साकार हो सका है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी, हीरक जयंती समारोह की संयोजक प्रोफेसर नंदिता आईपी सिंह, सोशल आउटरीच प्रोग्राम की संयोजक प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह मंच पर मौजूद रहे तथा अपना महत्वपूर्ण उद्बोधन दिया. मंच का संचालन डॉ. तूलिका मिश्रा एवं आभार ज्ञापन प्रोफेसर नंदिता आईपी सिंह ने किया. इस दौरान गोरखपुर अंचल के विशिष्ट नागरिक, जनप्रतिनिधि, पत्रकार, आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक के विद्यार्थी व उनके माता-पिता, विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी आदि बड़ी संख्या में मौजूद रहे।