विराट किसान मेला-2025 में कृषि यंत्रीकरण और श्रीअन्न की महत्ता पर विशेष चर्चा
विराट किसान मेला-2025 में कृषि यंत्रीकरण और श्रीअन्न की महत्ता पर विशेष चर्चा
महाकुंभ नगर, 23 फरवरी 2025। महाकुंभ नगर के सेक्टर-9 स्थित कलश द्वार के समीप आयोजित पांच दिवसीय विराट किसान मेला-2025 के द्वितीय दिवस पर कृषि सूचनातंत्र सुदृढ़ीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 750 से अधिक कृषकों ने भाग लिया, साथ ही कृषि विभाग के विभिन्न अनुभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ उप कृषि निदेशक, प्रयागराज द्वारा अतिथियों के अभिनंदन से हुआ। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, फार्म मशीनरी बैंक, सोलर पंप, नमामि गंगे परियोजना एवं अनुदान पर बीज वितरण से संबंधित योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।
स्थानीय संस्कृति को प्रोत्साहित करते हुए लोकगायक कंचन लाल यादव ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। उन्होंने लोकगीतों के माध्यम से विभागीय योजनाओं की जानकारी देकर किसानों को जागरूक किया और उनका मनोरंजन भी किया।
तकनीकी सत्र में केवीके नैनी प्रयागराज के वैज्ञानिक इं. जी.पी.एम. सिंह ने कृषि यंत्रीकरण के महत्व को समझाते हुए बताया कि आधुनिक खेती में ट्रैक्टर, सीडड्रिल एवं हार्वेस्टर जैसी मशीनों का उपयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसान बड़े कृषि उपकरणों को एफपीओ एवं कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, सटीक मशीन चयन से रोजगार सृजन और अतिरिक्त आय में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि यंत्रीकरण से कृषि उत्पादन में 34% तक वृद्धि संभव है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनीष केसरवानी (शुआट्स, नैनी) ने श्रीअन्न (ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो आदि) की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ये न केवल पोषण से भरपूर हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को सहन करने में भी सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 2018 में मिलेट्स को पोषण अनाज घोषित किया था और भारत के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया। इससे वैश्विक स्तर पर श्रीअन्न के प्रति जागरूकता बढ़ी और इसके व्यंजन लोकप्रिय हुए।
कृषि विज्ञान केंद्र जौनपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्र सोनकर ने मृदा प्रबंधन और फसल चक्र पर जोर देते हुए बताया कि जैविक तत्वों की वृद्धि से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और उत्पादन में सुधार होता है।
डॉ. रूपेश सिंह (केवीके जौनपुर) ने मशरूम की खेती पर तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने बटन मशरूम और ओएस्टर मशरूम उत्पादन की विधियों पर प्रकाश डालते हुए किसानों को इससे अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए प्रेरित किया।
अंत में भूमि संरक्षण अधिकारी, फूलपुर प्रयागराज ने उप कृषि निदेशक, प्रयागराज की अनुमति से सभी अतिथियों, अधिकारियों और मीडिया सेल को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की।