February 23, 2025

महाकुम्भ 2025 ने भारतीय संस्कृति को चहुँओर फैलाया, करीब 60 करोड़ श्रद्धालुओं ने प्रयागराज की भूमि में आकर पवित्र त्रिवेणी में स्नान किया

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महाकुम्भ 2025 ने भारतीय संस्कृति को चहुँओर फैलाया, करीब 60 करोड़ श्रद्धालुओं ने प्रयागराज की भूमि में आकर पवित्र त्रिवेणी में स्नान किया

महाकुम्भ 2025 ने भारतीय संस्कृति को चहुँओर फैलाया है। करीब 60 करोड़ श्रद्धालुओं ने प्रयागराज की भूमि में आकर पवित्र त्रिवेणी में स्नान किया है। सम्पूर्ण भारत के साथ ही विदेशों से भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा प्रयागराज में रहा है।

आज गंगा पण्डाल में भी देश के प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ ही विदेशों से आये कलाकारों ने अपने गीत एवं नृत्य संयोजन का परिचय दिया, जिसे कोरियोग्राफ किया देश को प्रसिद्ध नृत्यांगना एवं नृत्य निर्देशिका सुश्री रानी ख़ानम ने। आज दिनांक 22 फरवरी 2025 में कार्यक्रम की शुरुआत माननीय महापौर श्री उमेश चन्द्र गणेश केशरवानी, सदस्य विधान परिषद श्री सुरेन्द्र चौधरी, महानिदेशक भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नोडल अधिकारी संस्कृति विभाग डॉ० सुभाष चंद्र यादव तथा कार्यक्रम अधिशासी श्री कमलेश कुमार पाठक के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया। उसके बाद सभी माननीय अतिथियों का सम्मान पुष्प गुच्छ देकर किया गया।

आज की शाम की पहली प्रस्तुति के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कृत तथा उस्ताद ज़िया मोइनुद्दीन डागर और उस्ताद ज़िया फरीउद्दीन डागर के शिष्य पंडित पुष्पराज कोष्टी द्वारा सुरबहार वादन की मनमोहक प्रस्तुति की गई। उनके साथ श्री भूषण कोष्टी ने सुरबहार तथा पखावज़ पर विवेकानंद कुरंगड़े ने दिया। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने राग मारू में अलाप तथा चौताल में बंदिश गाई जिसे श्रोताओं ने बहुत पसंद किया।


दूसरी प्रस्तुति में भारत के साथ ही बांग्लादेश, फिज़ी, किर्गीस्तान, मलेशिया, मालदीव, मंगोलिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका तथा वियतनाम से आये कलाकारों ने अपने नृत्य से दर्शकों को झूमा दिया। उन्होंने अपने नृत्य की बहुत मोहक प्रस्तुति दी। यह आयोजन विविधता, एकता और वैश्विक सांस्कृतिक आदान प्रदान का उत्सव है, जो भारतीय दर्शन वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को दर्शाता है। सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका ने अपनी प्रस्तुति दी। उसके बाद रूस से आये कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य की अमिट छाप दर्शकों पर छोड़ी, जिसे दर्शकों ने तालियां बजाकर अभिवादन किया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में मलेशिया, फिज़ी और किर्गीस्तान से आये कलाकारों ने अपने नृत्य प्रस्तुत किया। अपनी अंतिम प्रस्तुति के रूप में भारत के कलाकारों ने अपने नृत्य से कार्यक्रम में जान डाल दी। कार्यक्रम के अंत में सभी देशों के कलाकारों ने एक साथ कोरियोग्राफ की हुई प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में अंतिम प्रस्तुति के लिए वाराणसी घराने की प्रसिद्ध कथक युगल नृत्यांगना तथा पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सुश्री नलिनी अस्थाना एवं कमलनी अस्थाना ने अपने नृत्य से सभी दर्शकों को मोहित कर दिया। अपनी पहली प्रस्तुति में उन्होंने कुम्भ दर्शन की भाव पूर्ण प्रस्तुति दी। प्रयागराज में लगे महाकुम्भ की महिमा और माँ गंगा के अवतरण की रोचक प्रस्तुति दी। अपनी अगली प्रस्तुति में उन्होंने भगवान नटराज को समर्पित रुद्रकराष्टकम एवं शिवांजली की प्रस्तुति दी। अपनी अंतिम प्रस्तुति के लिए फागुन में मनाए जाने वाले हिंदुओं के पवित्र त्योहार होली को कथक नृत्य के माध्यम से भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

अंत मे संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी डॉ० सुभाष चंद्र यादव एवं कार्यक्रम अधिशासी श्री कमलेश कुमार पाठक ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र तथा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया । मंच संचालन डॉ० अनुराधा सिंह ने किया।

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