August 1, 2025

महाकुंभ में विमुक्त-घुमंतू जातियों को मुख्य धारा में लाने का संकल्प

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महाकुंभ में विमुक्त-घुमंतू जातियों को मुख्य धारा में लाने का संकल्प

-देशभर में हैं कुल 425 विमुक्त और 810 घुमंतु प्रकार की जातियां

-समाजकल्याण विभाग कैँप के सभागार में हुआ राष्ट्रीय अधिवेशन
-देश के अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधियों ने किया प्रतिभाग
-समाज कल्याण विभाग के कैंप के आडिटोरियम में हुआ आयोजन
-मा0 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ने की अध्यक्षता

केंद्र व राज्य सरकार विमुक्त एवं घुमंतु जातियों के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक उत्थान के लिए कटिबद्ध है। इनको विकास की मुख्यधारा में जोड़ने तथा इनके चौमुखी विकास के लिए विभिन्न योजनाओं से आच्छादित किया जा रहा है।-असीम अरूण, समाज कल्याण, अनुसुचित जाति एवं जनजाति कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)।

महाकुंभनगर: विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के कल्याण एवं उन्हें समाज व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से विमुक्त, घुमंतू जनजाति विकास परिषद (अखिल भारतीय) का राष्ट्रीय अधिवेशन 18 फरवरी मंगलवार को महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर 7 में बने समाज कल्याण मंत्रालय के कैंप स्थित सभागार में संपन्न हुआ। अधिवेशन की अध्यक्षता मा0 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री भारत सरकार बीएल वर्मा ने की।

कार्यक्रम की शुरुआत कैंप में लगाई गई भगवान बिरसा मुंडा जी की विशालकाय मूर्ती का माल्यार्पण के साथ हुई। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने संबोधित करते हुए कहा कि मा0 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास की नीति पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की इस नीति में सभी विमुक्त एवं घुमंतू जातियों के लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस जाति को पहचान के मूलभूत दस्तावेज, स्थिर आजीविका, भूमि के पट्टे, आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाआें का लाभ दिलाने का प्रयास करूंगा। जब तक इन जातियों को उनका हक नहीं मिलेगा तब तक चैन से नहीं बैठूंगा।

ब्रिटिश काल में भारत की स्वाधीनता एवं धर्म संस्कृति के लिये संघर्ष करने वाली विभिन्न जातियों को अपराधिक जनजाति के रूप में अधिसूचित कर उन्हें उनके अधिकारों एवं संसाधनों से वंचित कर दिया गया था। आजादी के बाद 1952 में उन्हें विमुक्त जाति के रूप में घोषित कर उनके संविधानिक अधिकारों को प्रदान किये जाने हेतु पहल की गई। वर्तमान में राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतु तथा अर्द्ध घुमंतू जनजाति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कुल 425 विमुक्त और 810 घुमंतू समुदाय हैं। जिन्हें भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाआें एवं कार्यक्रमों के माध्यम से विकास की मुख्यधारा में लाया जा रहा है। भारत सरकार ने इन समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु “सीड” योजना द्वारा गुणवत्तापूर्ण कोचिंग, स्वास्थ्य बीमा, आजीविका सहायता और आवास निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा छात्रावास, छात्रवृत्ति से संबंधित शैक्षणिक योजनाएँ भी संचालित की जा रही हैं।

अधिवेशन के दौरान विमुक्त और घुमंतू जाति के लिये विमुक्त जाति बोर्ड की स्थापना, सरकारी सेवाओं में आरक्षण, विमुक्त जाति प्रमाण पत्र दिलाया जाने की मांग उठाई गईं एवं वक़्फ़ बोर्ड, अल्पसंख्यक घुमंतू जनजातियों को अल्पसंख्यक घोषित करने एवं रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे भी उठाए गये। मा0 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री भारत सरकार बीएल वर्मा ने समाज कल्याण मंत्रालय के एक्जीबिशन हाल का निरीक्षण किया एवं यहां लगी सरकारी योजनाआें की जानकारी को जनहितकारी बताया। अधिवेशन के दौरान लाल सिंह आर्य राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जाति मोर्चा भाजपा, नरेंद्र सिंह राजपूत पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा कन्नौज, अनुराधा सिंह विमुक्त घुमंतू जनजाति विकास परिषद अखिल भारतीय उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष, लक्ष्मी नारायण सिंह लोधी दादा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डीएनटी फाउंडेशन, रमेश चंद्र लोधी एडवोकेट अध्यक्ष उत्तर प्रदेश अखिल भारतीय डॉ. बीके लोधी पूर्व उपसचिव राष्ट्रीय विमुक्त जाति भारत सरकार, राघवेंद्र नागुर प्रदेश अध्यक्ष कर्नाटक, इसके साथ ही तेलंगाना आंध्र प्रदेश कर्नाटक केरल महाराष्ट्र मध्य प्रदेश उत्तराखंड राज्यों से विमुक्त घुमंतू जाति के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तर प्रदेश राज्य की विमुक्त और घुमंतू जनजातियों (DNTs) की समस्यायें
-जाति प्रमाणपत्र जारी करने में ब्रिटिश शासन कालीन जिलेवार प्रतिबंध लगाना, जबकि ये जातियाँ सभी जनपदों में सामान्यतया रहती हैं और आपस में रोटी-बेटी के संबंध होते हैं
-विमुक्त और घुमंतू जातियों का एकीकरण उचित नहीं हैं।
-घुमंतू जातियाँ अधिक कमजोर तथा गैर कलंकित (Non CT) हैं।
-यह एकीकरण दोनों समुदायों की भावना के विपरीत हैं।
-DNTs के लिए प्रथक आयोग, विकास बोर्ड, जिला स्तरीय शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन न होना।
-विधान मण्डल की एससी, एसटी एवं DNTS संबंधी समिति द्वारा DNTS की सुनवाई न करना और समिति में घुमंतू जाति के विधान सभा सदस्यों को सम्मिलित न करना।

विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के विकास हेतु मुख्य मांगें
-उ.प्र. में, केंद्र एवं राज्यों की भांति DNTS के लिये राज्य आयोग /विकास बोर्ड और जिला स्तरीय शिकायत निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना की जाय।
-जब तक राज्य DNT आयोग का गठन नहीं होता है, एससी, एस्टी आयोग का दाया बढ़ कर एससी, एसटी और बिमुक्त जन जाति आयोग के रूप में पुनर्गठन किया जाए।
-बे-घर घुमंतू जन‌जातियों को मकान के लिये भूमि पट्टे पर दी जाय और वर्तमान समय में चल रही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनके लिये मकान बनाये जांय.
-केंद्र सरकार की “विमुक्त जातियों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण योजना” (SEED) एवं अन्य योजनाओं में आवेदन आवेदन करने के लिए बिना, क्षेत्र प्रतिबंध के सभी जनपदों में विमुक्त जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाय।
-किसी भी समुदाय के विकास की पहली सीढ़ी शिक्षा है अतः DNTs को शिक्षा प्रदान करने के लिये सभी शिक्षण संस्थाओं में पहले की तरह समुचित आरक्षण प्रदान कर शिक्षा का अधिकार बहाल किया जाय।

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