December 22, 2024

आराधना-महोत्सव – सनातन धर्मावलम्बी शासन के सत्तारूढ़ होने पर महाकुंभ प्रयागराज को मिली अन्तर्राष्ट्रीय पहचान-शंकराचार्य वासुदेवानंद

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आराधना-महोत्सव – सनातन धर्मावलम्बी शासन के सत्तारूढ़ होने पर महाकुंभ प्रयागराज को मिली अन्तर्राष्ट्रीय पहचान-शंकराचार्य वासुदेवानंद

प्रयागराज, 12 दिसम्बर। पूज्य श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरूशंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी के सानिध्य में श्री ब्रह्म निवास अलोपीबाग स्थित पूज्य आदिशंकराचार्य मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय आराधना-महोत्सव श्रीमद्भागवत कथा कार्यक्रम में आज छठें दिन वृहस्पतिवार को शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद जी ने त्रिवेणी मार्ग स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर में भगवान राम, माता जगदम्बा सीता जी, कुंवर लक्ष्मण जी एवं प्रभु हनुमान जी को माल्यापर्ण करके पूजा-आरती किया और प्रसाद वितरित किया। पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने उक्त अवसर पर कहा कि सनातन धर्म की असीम आध्यात्मिक बौद्धिक सम्पदा विधर्मियों के हाथ में जाने के कारण नष्टप्राय हो गई थी किन्तु समय बदला। सनातन मतावलम्बी जागृत हुए और सनातन धर्मावलम्बी शासक के सत्तारूढ़ होने पर प्रयागराज और महाकुंभ मेले को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान मिली।


पूज्य स्वामी शंकराचार्य जी ने कहा कि सनातन धर्म व सहिष्णुता की उपेक्षा और अनादर करके कुछ लोगों ने गलत अर्थ देते हुए उसके अस्तित्व को नष्ट करने की चेष्टा किया किन्तु समय आया और देश भारत सनातन विश्व का मार्गदर्शक बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सनातन संस्कृति का ज्ञान प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया था। भक्तों, सन्तों और अखाड़ा के महात्माओं का अद्भुत समन्वय माघ महाकुंभ के अवसर पर संगम में स्नान करने के लिए विश्व से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह प्रेरणास्पद होगा।


कार्यक्रम में जयपुर से पधारे श्री राधे मोहन जी एवं सहयोगियों द्वारा नवान्ह श्रीरामचरितमानस गायन, मध्य प्रदेश से पधारे श्रीमद्भागवत कथा वाचक व्यास पं0 ओमनारायण तिवारी द्वारा कथा रस वर्षण के पश्चात श्रीमद्भागवत एवं श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शान्तानंद जी महाराज की पूजा-आरती के बाद भगवान मैदानेश्वर बाबा की पूजा-आरती व प्रसाद वितरण हुआ। श्रीमद्ज्योतिष्पीठ प्रवक्ता पं0 ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया कि आराधना महोत्सव कार्यक्रम 15 दिसम्बर तक चलेगा।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दण्डी संन्यासी स्वामी विनोदानंद सरस्वती जी महाराज, दण्डी स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, दण्डी संन्यासी ब्रह्मपुरी जी, ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य पं0 शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य पं0 अभिषेक मिश्रा, आचार्य पं0 विपिनदेवानंदजी, आचार्य पं0 मनीष मिश्रा, श्री सीताराम शर्मा, अनुराग जी, दीप कुमार पाण्डेय आदि विशेष रूप से सम्मिलित रहे।

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