अम्बिका प्रसाद दिव्य एवं किंजल्क स्मृति सम्मान समारोह का भव्य आयोजन संपन्न
अम्बिका प्रसाद दिव्य एवं किंजल्क स्मृति सम्मान समारोह का भव्य आयोजन संपन्न
प्रयागराज। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन में 1 दिसंबर 2024 को अम्बिका प्रसाद दिव्य एवं किंजल्क स्मृति सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दूरदर्शन प्रयागराज के पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्याम विद्यार्थी ने की। इस अवसर पर देश के 25 वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी नित्यानंद उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर स्वामी प्रेमानंद गिरी ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। वक्ता के रूप में आचार्य संजीव वर्मा सलिल, डॉ. प्रदीप चित्रांशी , और वरिष्ठ साहित्यकार विमला व्यास ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकारों ने स्वर्गीय अम्बिका प्रसाद दिव्य और उनके सुपुत्र जगदीश किंजल्क के योगदान को याद करते हुए अपने विचार साझा किए। देशभर से आए साहित्यकारों का सम्मान एवं पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इस दौरान श्रीमती विजयलक्ष्मी विभा द्वारा संपादित स्मारिका और उनकी दो पुस्तकों “आत्मजा” खंडकाव्य एवं “अपनी-अपनी भूल” का विमोचन भी हुआ। और अंत मे कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें स्थानीय कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर किया।
कार्यक्रम की संस्थापक श्रीमती विजयलक्ष्मी विभा ने बताया कि यह संस्था दिव्य जी के सुपुत्र स्वर्गीय जगदीश किंजल्क द्वारा 16 मार्च 1996 को स्थापित की गई थी। तब से अब तक 600 से अधिक साहित्यकारों को सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. प्रदीप चित्रांशी ने कहा, “जगदीश किंजल्क जी ने अपने पिता के आदर्शों को आत्मसात कर समाज के प्रति साहित्य की जिम्मेदारी निभाई। उनका साहित्य आज भी प्रासंगिक और जीवन्त है।” वरिष्ठ साहित्यकार विमला व्यास ने कहा, “साहित्य कालजयी होता है और साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से हमेशा जीवित रहते हैं।”
कवि गोष्ठी में जगदीश किंजल्क के सुपुत्र अद्वैत खरे ने अपने पिता को श्रद्धांजलि स्वरूप कविता पाठ किया, जिसने पूरे सभागार को भावविभोर कर दिया।
संयोजक अनमोल खरे ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा, “यह संस्था हर वर्ष साहित्यकारों को मंच प्रदान करती रहेगी और साहित्य की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाएगी।”
कार्यक्रम के अंत में, दिव्य जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को समर्पित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई, जो पूरे आयोजन का मुख्य आकर्षण रही।
इस भव्य आयोजन ने साहित्य के प्रति सम्मान और जुड़ाव का उदाहरण प्रस्तुत किया।