November 23, 2024

व्यक्ति के विकास के लिए मातृभाषा का विकास जरूरी : बृजभूषण शरण सिंह

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व्यक्ति के विकास के लिए मातृभाषा का विकास जरूरी : बृजभूषण शरण सिंह


प्रयागराज भोजपुरी संगम और स्वाती फाउंडेशन के तत्वावधान में भोजपुरी के उत्थान और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए दबाव बनाने पर चर्चा की गयी। भोजपुरी साहित्य के मुर्धन्य लोगों ने कविता पाठ से लेकर साहित्य विकास तक की चर्चा की। इसके बाद देर रात तक भोजपुरी लोकगीतों का कार्यक्रम चलता रहा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सासंद बृजभूषण शरण सिंह मौजूद रहे।
भोजपुरी माई महोत्सव कार्यक्रम में बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की मातृभाषा ही उसके विकास की जड़ में होता है, जितना भाषा का विकास होगा, उतना ही उस क्षेत्र का बौद्धिक विकास होगा। यह जरूरी नहीं कि उसे आठवीं अनुसूची में शामिल ही किया जाय, उससे पहले जरूरी है कि हम सभी उसमें रचे-बसें, कहीं भी रहें, अपनी भोजपुरी को बोलने में शर्म न करें। बल्कि गर्व करें और उसी भाषा में बात करें।
वहीं विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि जिस भाषा में हमने बोलना सीखा है। जिसने हमें अपनत्व का बोध कराया है। वह निश्चय ही हमारी मां से कम नहीं है। आखिर मां ही है, जो पशुवत से मनुष्यत्व की ओर ले जाने की शिक्षा देती है। वहीं हमारी पहली अध्यापक है, जो समाज के साथ भाषा के प्रयोग को बताती है। आखिर भाषा का भी तो यही काम है। शायद यही कारण है कि अजीत विक्रम जी और अजीत सिंह ने इसे माई का दर्जा दिया है, क्योंकि मातृ भाषा हर बच्चे के लिए मां ही है। आखिर इस भाषा में मिठास भी जितनी ज्यादा है, अन्य कहीं भी मिलना मुश्किल है।उन्होंने कहा, “हमहूं ये भोजपुरी माई के पूज के बड़ भइल हईं। बलिया क धरती पर जनम बा हमार। अउरी आप सबक आशीर्वाद के कारण कबहूं आपन माटी पर कलंक ना लागे देहनी। आप सब एकर गवाह बानी जा, जब एक बार एक जानी ताल ठोकत रहली। एकही बार ठोकनी कि घरें में घुस गइली।विशिष्ट अतिथि कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि भोजपुरी में ही नहीं, भोजपुरी समाज के लोगों में भी जो मिठास है, वह अन्यत्र कहीं नहीं दिख सकता। वहीं विशिष्ट अतिथियों में डा. उदेश्वर सिंह, अमित अनजान, डा. ज्वाला प्रसाद, डा. चंद्रभूषण राय, पंकज गांधी आदि ने अपने-अपने विचार रखे।कार्यक्रम के संयोजक अजीत विक्रम सिंह और अजीत सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। अजीत विक्रम सिंह ने कहा कि भोजपुरी प्यार की भाषा के साथ-साथ वक्त पड़ने पर दबंग की भी भाषा है। वहीं अजीत सिंह ने कहा कि भोजपुरी में जो प्यार है वह कहीं नहीं मिल सकता। इससे जितना अधिक जुड़ेंगे, उतना अधिक भावनाओं से ओत-प्रोत होंगे।
वहीं कवि सम्मेलन में डा. श्लेष गौतम, मनोज भावुक, देव कांत पांडेय, डा. विनम्र सेन सिंह, संजीव त्यागी आदि ने कविता पाठ कर समाज और भोजपुरी भाषा पर भावनाओं के माध्यम से अपने विचार रखे।मैथिली के मंच पर चढ़ते ही गूंजने लगी तालियां प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने जब मंच से “ वो जो आंखों से एक पल ना ओझल हुए…. ” गाया तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। खचाखच भरे एएमए हाल में बहुत लोग खड़े होकर झूमने लगे, फिर मैथिली ने मंच से ही आग्रह किया कि ऐसा कुछ भी न करें, जिससे आपके बगल में बैठे लोग परेशान हों। इसके बाद मैथिली ने कई गीत सुनाए और लोग गीतों का आनंद लेते रहे। मैथिली का एक गीत “जमाना आइल बहुअन क….” सुनते ही जहां पुराने लोग भावुक हो गये, वहीं नये भी गदगद नजर आये।
“माई क दुधवा….” पर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा हाल
प्रयागराज। कार्यक्रम कें दूसरे सत्र में प्रसिद्ध लोकगायक दीपक त्रिपाठी ने जब “ माई क दुधवा जेइसन दूसर मिठाई ना मिली, सब कुछ मिल जाई, पर दूसर माई ना मिली।…..। गाया तो पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। काफी देर तक लोग वाह-वाही करते रहे। वहीं गोपाल राय ने मंच पर आते ही भोजपुरी बातचीत से ही शुरूआत की और लोकगीत गाकर वाहवाही लुटी। इसके अलावा हेमा पांडेय, चंदन तिवारी, अनामिका त्रिपाठी, अल्का सिंह पहाड़िया, अनन्या सिंह, जितेंद्र तिवारी ’अमृत’ आदि ने लोकगीत गाये। इस सत्र का संचालन राणा सिंह ने किया।

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