राजकुमार राम चैत्र शुक्ला द्वादशी को प्रयागराज पहुंचे थे- वीरेन्द्र पाठ
राजकुमार राम चैत्र शुक्ला द्वादशी को प्रयागराज पहुंचे थे- वीरेन्द्र पाठ
प्रयागराज। राजकुमार राम वनवास प्राप्त करने के बाद अयोध्या से चले और चार दिन पश्चात वह द्वादशी तिथि को पवित्र गंगा जमुना के संगम तट पर स्थित महर्षि भरद्वाज के आश्रम में पहुंचे थे।
नक्षत्र की गणना और शोध के उपरांत यह स्पष्ट होता है कि भगवान राम का पुष्य नक्षत्र में राज्याभिषेक होना था किंतु मंदोदरी के वर मांगने के पश्चात पिता की आज्ञा से राजकुमार राम अपनी पत्नी सीता भाई लक्ष्मण के साथ वनवास को दूसरे दिन सुबह निकल पड़ते हैं। राजकुमार राम सुमंत के साथ तमस नदी के किनारे पहुंचते हैं और विश्राम करते हैं। बाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड से यह स्पष्ट है कि सूर्योदय पर वह फिर वनवास की ओर प्रस्थान करते हैं और राज्य की सीमा श्रृगंवेरपुर पहुंचते हैं।
निषाद राज गुह का आदित्य स्वीकार करने के पश्चात दूसरे दिन सूर्योदय के समय गंगा नदी को पार कर प्रयाग वन में पहुंचते हैं।
श्रृगंवेरपुर की एक भौगोलिक खासियत है कि यहां गंगा छिछली होकर बहती है। राम की यात्रा को गुड्डा से देखेंगे तो आपको पता लगेगा कि राजकुमार राम यहां पर नाव से गंगा को पार कर रहे हैं, उस समय के लोगों को यह भान था कि गंगा की विकराल धारा यहां थोड़ा धीमी हो जाती है। इसीलिए यहां नाव चल रही है। राजा दशरथ के राज्य की सीमा भी यहां तक थी।
शोध के उपरांत स्पष्ट होता है कि गंगा पार करके और राम ,पत्नी सीता और लक्ष्मण के साथ प्रयाग वन में दाखिल होकर चलते हैं। ध्यान रहे आमतौर पर उन दिनों नदी के तट के किनारे किनारे लोग चलते थे किंतु राजकुमार राम प्रयाग वन के बीच से होकर जा रहे हैं। जहां हिंसक पशु भी है । रात्रि विश्राम करते हैं और दूसरे दिन पवित्र गंगा जमुना के संगम तट पर स्थित भरद्वाज आश्रम की ओर चल पड़ते हैं। वह आश्रम में हो रहे यज्ञ के धुएं का जिक्र करते हैं साथ ही गंगा और यमुना के मिलन से उत्पन्न होने वाली आवाज का भी जिक्र करते हैं।
नक्षत्र की गणना के अनुसार वह दिन द्वादशी का दिन था, जब राजकुमार राम सूर्यास्त के समय भरद्वाज आश्रम पहुंचते हैं।
राजकुमार राम के साथ हो गए अन्यायपूर्ण व्यवहार की सूचना महर्षि भरद्वाज को थी। महर्षि भारद्वाज राजकुमार राम को आश्रम में रुकने की सलाह देते हैं । अवध राज्य से दूर जहां अवध के नागरिक ना सके और वनवास पूर्ण किया जा सके राजकुमार राम के यह इच्छा जताने पर महर्षि भरद्वाज उन्हें
दूसरे दिन चित्रकूट पर्वत पर अपना वनवास पूर्ण करने को कहते हैं।
प्रयागराज, महर्षि भरद्वाज और भगवान राम के लिए चैत्र मास की द्वादशी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष द्वादशी 20 अप्रैल को पड़ रही है। दैवीय कृपा से प्रयागराज विद्वत परिषद इस महत्वपूर्ण दिन को *राम आगमन पर्व* के रूप में मनाएगा।
राजकुमार राम के सूर्यास्त के समय आश्रम में पहुंचने के समय पर कल 20 अप्रैल शाम 5:30 बजे पुष्पांजलि कार्यक्रम तथा भजन के साथ 101 दीपक जलाकर नमन किया जाएगा।
आप भी उक्त कार्यक्रम में शामिल होकर एक दीपक और एक पुष्प महर्षि भरद्वाज और भगवान राम को अर्पित करें।
दीपक और पुष्प की व्यवस्था विद्वत् परिषद में आपके लिए की है।
शोध-वीरेन्द्र पाठक समन्वयक प्रयागराज विद्वत् परिषद