शहीदों वह क्रांतिकारियों के बलिदान को प्रयागराज के बच्चे बच्चे को जानना चाहिए – न्यायमूर्ति संजय
शहीदों वह क्रांतिकारियों के बलिदान को प्रयागराज के बच्चे बच्चे को जानना चाहिए – न्यायमूर्ति संजय
क्रांतिकारियों के मुख्यालय खुसरूबाग में पट का अनावरण
प्रयागराज। खुसरो बाग ऐसे तो मुगल साम्राज्य के बच्चों के रूठ कर और मकबरे के लिए जाना जाता है किंतु इतिहास में एक छुपा तथ्य अब आमजन जान सकेंगे कि 1857 की क्रांति का मुख्यालय भी खुसरो बाग ही था । आज न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने भारत भाग्य विधाता के तथावधान में आयोजित एक कार्यक्रम में क्रांतिकारियों के मुख्यालय के पट का अनावरण किया।
भारत भाग्य विधाता के तत्वावधान में प्रयागराज के शहीदों- क्रांतिकारी की गौरव गाथा जन-जन तक पहुंचाने का कार्य चल रहा है । प्रयागराज की पहली आजादी का मुख्यालय जहां से क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से सत्ता छीन कर ,10 दिनों तक भारतीयों ने अपना राज्य चलाया यह बात आम लोगों से छुपी रही। इतिहास की किताबें में भी पूरा तथ्य नहीं उल्लेखित किया गया।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आगे कहा कि खुसरो बाग क्रांतिकारियों का मुख्यालय रहा, यह बात आम लोग नहीं जानते ,मैं भी नहीं जानता था । पाठक जी की किताब से बहुत जानकारी मिली। क्रांतिकारियों के साथ आजाद भारत में ऐसा नहीं होना चाहिए, क्रांतिकारी और शहीदों की गौरव गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। किताब के माध्यम से तथा अन्य माध्यमों से आजादी की गौरव गाथा हर बच्चे को पता होना चाहिए। उन्होंने पुस्तक, प्रयाग से प्रयागराज तक के क्रांति एवं बलिदान खंड जिसमें आजादी के 10 दिन का पूरा विवरण अंकित है हर स्कूल में पहुंचाने का आवाहन किया।
भारत भाग्य विधाता के चेयरमैन वीरेन्द्र पाठक ने 1857 के 10 दिन की आजादी की गाथा और क्रूर अंग्रेजों द्वारा किए गए जुल्म पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि सरदार रामचंद्र ने विद्रोह करके अंग्रेजों की सत्ता उखाड़ दी अंग्रेज भाग कर किले में चले गए। यहां तक की 30 लाख रुपया भी डरवश छोड़ गए । जिसे बाद में क्रांतिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया। सभी क्रांतिकारी एक समिति बनाकर मौलवी लियाकत अली की अगवाई में खुसरो बाग में आजादी का झंडा फहराया। यह झंडा हरे रंग का था। साथ ही इस पर उगता हुआ सूर्य अंकित था। बाद में क्रूर नील ने आकर अपने आधुनिक हथियारों और प्रशिक्षित सिपाहियों के बल पर सत्ता हासिल की। पूरा इलाहाबाद उजाड़ दिया गया । मौलवी लियाकत अली 30 लाख रुपए लेकर बिठूर में नानाजी से जाकर मिल गए और आजादी का संघर्ष जारी रहा।
इतिहास का यह तथ्य पन्नों में सिमट गया और दफन हो गया । जिसे भारत भाग्य विधाता ने पट के माध्यम से जन-जन के लिए सुलभ कर दिया।
शासकीय अधिवक्ता आशुतोष सण्ड ने कहा कि प्रयागराज का गौरव त्याग और बलिदान रहा ।प्रयागराज की पहचान है क्रांतिकारी और शहीदों की गौरव गाथा। इसे हर प्रयागराज वासी को जानना चाहिए। हम सब भारत भाग्य विधाता के साथ जुड़कर यह कार्य कर रहे हैं। इसमें और लोगों को भी शामिल होना चाहिए।
जितेन्द्र सिंह अपर आयुक्त सीएसटी ने कहा कि शहीदों और क्रांतिकारियों की प्रेरणादायक कहानियां ही बताती है कि हमारे पूर्वजों ने कितना बलिदान दिया । आजादी कितनी मुश्किल से हमें मिली है। इसे हमें आक्षुण रखने के लिए सदैव प्रयास करना चाहिए। मिलजुल कर भारत को आगे बढ़ने का कार्य करना चाहिए।
मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृषि मोहन चौधरी ने कहा कि खुसरो बाग आने वाले हर व्यक्ति को अब जानकारी मिल सकेगी कि क्रांतिकारी का इतिहास क्या है।
प्रारंभ में डॉ प्रमोद शुक्ला ने सभी अध्यगतों का स्वागत किया। कार्यक्रम में उपस्थित तीन बच्चों ने शौर्य मेहुल मिश्र ने अतिथियों का माल्यार्पण किया। किया। शहीदों की गाथा जन-जन तक पहुंचाने के लिए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने भारत भाग्य विधाता के अध्यक्ष वीरेन्द्र पाठक का सम्मान किया।
कार्यक्रम में शाहीद ललऊ मिश्र के पौत्र भानु मिश्रा श्रीमती रानी सिंह डॉ प्रभाकर त्रिपाठी तापस घोष विकास सहाय उत्तम बनर्जी देवराज पाठक अखिलेश मिश्रा, डॉ मुकेश द्विवेदी देवेंद्र ओझा मोतीलाल जी शैलेंद्र द्विवेदी मोहम्मद आमिर मोहम्मद लाइक नीतेश सोनी आरव भारद्वाज अनूप त्रिपाठी दिलीप द्विवेदी दिव्यांशु मेहता शशिकांत मिश्रा अशोक पाठक आनंद कक्कड़ जगत नारायण तिवारी
कार्यक्रम का संचालन देवेंद्र सिंह ने किया। भोजपुरी गीतों का गण आशुतोष श्रीवास्तव और उनके साथियों ने किया।