उच्च शिक्षा निदेशक पद पर बने रहने योग्य नहीं है -हाईकोर्ट
उच्च शिक्षा निदेशक पद पर बने रहने योग्य नहीं है -हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के उच्च शिक्षा निदेशक ब्रह्मदेव की कार्य पद्धति को लेकर तल्ख टिप्पणी की है और कहा कि प्रथमदृष्टया यह पद पर बने रहने योग्य नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अजय कुमार मुद्गल की अवमानना याचिका पर पर दिया है। कोर्ट के आदेश पर उच्च शिक्षा निदेशक कोर्ट में हाजिर थे।
याची की पत्नी मेरठ में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं। सेवा काल में मौत हो गई।
याची ने पारिवारिक पेंशन व ग्रेच्युटी की मांग की किंतु शिक्षिका के सेवानिवृति विकल्प न भरने के कारण ग्रेच्युटी के भुगतान का हकदार नहीं माना। जिसे चुनौती दी गई।
कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशालय को दो माह में पूर्व मे पारित कोर्ट के आदेश के आलोक में निर्णय लेने का निर्देश दिया।जिसका पालन नहीं किया गया।
कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक ब्रह्मदेव को तलब किया तो उन्होंने कहा कि व्यस्तता के कारण वह याची की फाइल को आगे नहीं बढ़ा सके। किंतु 10 नवंबर को राज्य सरकार को अनुरोध पत्र भेज दिया है।
इसपर कोर्ट ने टिप्पणी की कि कोर्ट आदेश की फाइल दबाये रखने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है।अपने में सुधार लाये अधिकारी। आदेश की फाइल को छह माह तक दबाए रखा और जब तलब हुए तो भुगतान के लिए राज्य सरकार को अनुरोध भेज दिया। कोर्ट ने विशेष सचिव उच्च शिक्षा को दो सप्ताह का समय दिया है।साथ ही निदेशक को अगली तिथि पर भी हाजिर होने का निर्देश दिया है।और कहा कि आदेश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना आरोप निर्मित किया जायेगा।