November 22, 2024

रेलवे और बिजली के निजीकरण के खिलाफ सीटू का प्रदर्शन

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रेलवे और बिजली के निजीकरण के खिलाफ सीटू का प्रदर्शन

सेण्टर ऑफ़ इण्डियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने दिनांक 3 नवम्बर को अपने अखिल भारतीय आह्वान के तहत डीआरएम कार्यालय तथा एंग्लो बंगाली के निकट स्थित बिजलीघर पर प्रदर्शन कर डीआरएम और चीफ इंजीनियर के माध्यम से क्रमशः प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।

सीटू नेताओं ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने में सार्वजनिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कोरोना महामारी और लाॅकडाउन के समय भी सरकारी कर्मचारियों ने ही ज़रूरी सेवाओं को जारी रखा था। रेलवे और बिजली बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। जहां रेलवे सस्ता परिवहन उपलब्ध कराता हैं, वहीं बिजली खेती, पाॅवर लूम, कारखाने, फोन चार्जिंग, रेल सबके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह देश की आत्मनिर्भरता के लिए भी आवश्यक हैं। परन्तु सरकार इनका लगातार निजीकरण कर रही है। इस कारण रेलवे तथा बिजली के रिक्त पड़े लाखों पदों पर भर्तियां नहीं निकल रही हैं। रेलवे की एनटीपीसी की परीक्षा में धांधली के सवाल पर तो 26 जनवरी 2022 को लाॅज में घुस पर छात्रों को लाठियों से पीटा गया था। संविदा पर भर्तियां की जा रही हैं, जहां वेतन बेहद कम है। इसके चलते रेलवे और बिजली दोनों ही क्षेत्रों में कर्मचारियों का अभाव और काम का बोझ अधिक है और दोनों क्षेत्र कुप्रबंधन के शिकार हैं। रेलवे में तो ट्रेनों में आपस में भिड़ंत हो रही हैं तो कहीं ट्रेनें पटरी छोड़ प्लेटफाॅर्म पर चढ़ी आ रही हैं। इसके अलावा आम उपभोक्ता भी बुरी तरह से प्रभावित है। बिजली में नलकूपों पर मीटर लगाये जा रहे हैं, पहले से ही मंहगी बिजली का दाम बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं, पाॅवरलूम पर फ्लैट रेट की व्यवस्था समाप्त की जा रही है। इससे आम किसान, मज़दूर, खेत मज़दूर बर्बाद हो रहा है। इसी प्रकार रेलवे की कीमतें बढ़ रही हैं। यात्री भाड़े से लेकर प्लेटफाॅर्म टिकट और पार्किंग तक के दाम बढ़ रहे हैं। कई स्थानों पर रेलवे स्टेशन, प्लेटफाॅर्म और पार्किंग भी बेचे जा रहे हैं। इसके तहत वहां रहने वाले मज़दूरों को उजाड़ा जा रहा है, वहां टेम्पो, रिक्शा आदि के खड़े होने के स्थान छीने जा रहे हैं, जिसके चलते लोगों के पास उपलब्ध सस्ता यातायात समाप्त हो रहा है। सीनियर सिटीज़न से लेकर 12 साल से कम के बच्चे के लिए जो छूट थी उसे भी समाप्त कर दिया गया। ट्रेनों में जनरल और स्लीपर के डिब्बे लगातार कम कर एसी कोच बढ़ाये जा रहे हैं। सभी पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस का दर्जा देकर उनका किराया बढ़ा दिया गया है। डिब्बों में भी अक्सर ट्वायलेट में पानी, साफ-सफाई तक नहीं होती। बिजली विधेयक 2022 लाकर बिजली के निजीकरण का रास्ता साफ किया जा रहा है। बिजली के सवाल पर व्यापक स्तर पर अनियमितता भी व्याप्त है। स्मार्ट मीटर के नाम पर लूट जारी है। मनमाने बिल आ रहे हैं। हालत यह है, कि ऐसे भी परिवार हैं, जहां बिजली का खम्भा तक नहीं गड़ा, पर उन्हें बिल भेजा जा रहा है। बिजली कटौती अघोषित और अनियमित तरीके से हो रही है। ट्राँस्फाॅर्मर और तार खस्ताहाल हैं, जिसके चलते आये दिन फाॅल्ट होता रहता है। सीटू ने मांग की कि रेलवे, बिजली तथा अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए, रेलवे तथा में रिक्त पड़े सभी पदों को तत्काल भरा जाए, ठेका मज़दूरों को 26000 प्रतिमाह न्यूनतम मज़दूरी दी जाए, ठेकेदारों के माध्यम से रेलवे में भर्ती बंद की जाए, रेलवे में सीनियर सिटीज़न तथा 12 साल से कम उम्र के बच्चे की छूट को बहाल किया जाए, प्लेटफाॅर्म और पार्किंग को निजी हाथों में देना बंद किया जाए। प्लेटफाॅर्म टिकट और पार्किंग के दाम कम किये जाएं, रेलवे में स्लीपर और जनरल कोच बढ़ाये जाएं। कोच में पानी, सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं, रेलवे स्टेशन के पास की झुग्गी बस्तियों को बिना वैकल्पिक आवास के न उजाड़ा जाए। वहां रिक्शा, ऑटो की पार्किंग की व्यवस्था बनाई जाए, पूर्ववर्ती पैसेन्जर ट्रेनों को पूर्ववर्ती पैसेन्जर के किराये पर ही चलाया जाए, रेलवे के कुप्रबंधन पर रोक लगाई जाए, दुघर्टनाओं पर पीड़ितों को समुचित मुआवज़ा दिया जाए तथा मंत्री समेत ज़िम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, बिजली की दरें कम की जाएं, चुनावी वादे के अनुसार सभी घरेलू उपभोक्ताओं को तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त दी जाये, गरीब किसानों, खेत मजदूरों, बुनकरों समेत सभी गरीबों को मुफ्त बिजली दी जाए, नलकूपों तथा पावरलूमों पर मीटर लगाना बंद किया जाए, उपभोक्ताओं पर गलत तरीके से गणना कर बढ़े हुए बिल भेजना बंद किये जाएं, जर्जर लाइनें को बदला जाए तथा ट्राँस्फार्मरों की क्षमता बढ़ाई जाए, अघोषित और अनियमित विद्युत कटौती बंद की जाए, बिजली संशोधन विधेयक 2022 को वापस लिया जाये, स्मार्ट मीटर योजनाओं सहित बिजली वितरण क्षेत्र में बाजार- आधारित सुधारों को रद्द किया जाये, उत्तर प्रदेश के उर्जा मंत्री और बिजली कर्मचारियों के साथ 3 दिसम्बर 2023 को हुये समझौते को लागू किया जाये, मार्च की हड़ताल के दौरान हटाये गये सभी बिजली कर्मचारियों को बहाल किया जाये, उन पर लगाये गये झूठे मुकदमें वापस लिये जाये, अनपरा और ओबरा में एनटीपीसी के साथ संयुक्त उपक्रम में 2 गुणे 800 मेगावाट की उत्पादन इकाई लगाने के निर्णय को रद्द कर यह कारखाना उत्तर प्रदेश राज्य उत्पादन निगम लिमटेड के पूर्ण स्वामीत्व में लगाया जाय। प्रदर्शन में सीटू जिला सचिव अविनाश मिश्रा, जिलाध्यक्ष विकास स्वरूप, पूर्व जिला मंत्री हरिश्चन्द्र द्विवेदी, राजेश कुमार यादव रेलवे पेंशनर ,कोषाध्यक्ष मोहन सिंह, गोपाल कृष्ण सेवानिवृत्ति बिजली कर्मचारी डाॅ0 कमल उसरी, अजीत बहादुर, आशुतोष तिवारी, समीर गांगुली, जेबी यादव, अखिल विकल्प आदि लोग उपस्थित रहे।

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रिपोर्ट सहयोगी विनोद कुमार

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