मौके पर दो बार तहसीलदार ने पहुंच कर दी थी हिदायत उसके बाद भी बनाई जा रही पीओपी की मूर्तियां
कलेक्टर के आदेश को पानी फेरता दिख रहा क्षेत्रीय प्रशासन
मौके पर दो बार तहसीलदार ने पहुंच कर दी थी हिदायत उसके बाद भी बनाई जा रही पीओपी की मूर्तियां
*लवकुश नगर* अनुविभाग अंतर्गत ग्राम ज्योराहा तिराहे में एक निजी मकान में खुले आम बनाई जा रही बड़ी मात्रा में पीओपी की मूर्तियां जहा देश में नवरात्रि के महज 8 दिन शेष होने के बाद पीओपी की मूर्तियां में नही की कार्यवाही, इस अवसर पर आयोजन समितियां पण्डाल सजाकर भक्तिभाव के साथ मूर्तियों की पूजा करती हैं और इसके बाद इन मूर्तियों को जलस्त्रोतों में विसर्जित किया जाता है। मिट्टी सहित अन्य सामग्री से परंपरागत तौर से मूर्तियां बनाना हानिकारक नहीं है लेकिन प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्तियां बनाने से जब इसका विसर्जन किया जाता है तो यह मूर्तियां पानी में जहर घोलने के काम आती हैं क्योंकि प्लास्टर ऑफ पेरिस पानी में पहुंचते ही जहरीला हो जाता है। आयोजन समितियों को इस बात का ख्याल रखना होगा कि वे मिट्टी और प्राकृतिक सामग्री से बनी मूर्तियों को पण्डाल में लाकर उनकी पूजा करें और प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई जाने वाली मूर्तियों को न सजाएं।
पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि गणेश चतुर्थी और नवरात्रि में पण्डालों में पहले मिट्टी की मूर्तियां तैयार की जाती थीं और उनमें प्राकृतिक रंगों को स्थान दिया जाता था लेकिन अब धीरे-धीरे प्लास्टर ऑफ पेरिस लोहे की सलाखें, पॉलिस्टर कपड़े, प्लास्टिक, सिंथेटिक पेंट आदि का उपयोग होने लगा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस में सूखने की क्षमता अधिक होती है और इससे मूर्तियों में चमक अधिक आती है। इसके अलावा इससे निर्माण करने में लागत कम आती है। यही वजह है कि मूर्तिकार मिट्टी के स्थान पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल अधिक करते हैं। सिंथेटिक पेंट और प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसे पदार्थों का इस्तेमाल होने से इनका जहर पानी के माध्यम से धीरे-धीरे लोगों तक पहुंच जाता है। तो वही ग्राम वासियों ने लवकुश नगर तहसीलदार को मौखिक रूप से अवगत करवाया और मौके पर पहुंचे भी लेकिन कार्यवाही के नाम से खाली हाथ लौटना पड़ा
तो वही इस संबंध में लवकुश नगर एसडीएम विनय द्विवेदी का कहना है कि जल्द ही जिले से पॉल्यूशन विभाग की टीम को बुलाकर जांच करवाई जाएगी हम कार्रवाई की जाएगी