मनुष्य योनि दुर्लभ है, चौरासी लाख योनियों मे मनुष्य भव मिलना पारसमणी के समान है
मनुष्य योनि दुर्लभ है, चौरासी लाख योनियों मे मनुष्य भव मिलना पारसमणी के समान है

आज छोटी बाजार स्थित जैन चैत्यालय में अपने प्रवचन मे जैन संत बाल ब्रह्मचारी श्री शांतानंद महाराज जी ने बताया कि सभी जीबो मे मनुष्य सर्वश्रेष्ठ होता है क्योंकि कोई जीव एक इंद्री है कोई दो इंद्री है कोई तीन इंद्री है कोई चार इंद्री है और कोई पांच इंद्री है किसी में देखने की क्षमता है तो सुनने की नहीं है किसी मे केवल स्पर्श महसूस करने की क्षमता है जैसे पेड़, जो केवल स्पर्श को महसूस करता है , चल सकता है ना बोल सकता है,न हि भाग सकता है, पांच इंद्री में भी तमाम जानवर आते हैं लेकिन विवेक ,ज्ञान,संयम भावना,ओर मोक्ष मार्ग प्राप्त करने की क्षमता केवल मनुष्य योनि में है ,इसी मनुष्य भव से ही व्यक्ति आत्मा से परमात्मा बन सकता है ,तप् कर सकता है ओर पुरसार्थ के द्वारा अपना आत्म कल्याण कर सकता है,इसलिए, हे प्राणी, तुझे जो परमात्मा ने मनुष्य बनाया है जो दुर्लभ है बहुत मुश्किल से ये भव् मिलता है । इसका सदुपयोग करो धर्म के रास्ते पर चलकर अपनी आजीविका चलाओ,हिंसा ना करो क्योकि उनमे भी तुम्हारे जैसी जान है उन्हे भी कस्ट होता है बेदना होती है मूक जानवर है ,पछी है अपनी पीड़ा बता नही सकते, तुम्हारे दिये जाने बाले दुख को व्यक्त नही कर पाते लेकिन उन्हे असीम बेदना ओर कस्ट होता है ,उन निरीह जीवो की जो आह निकलती है उससे बचो नही तो तुम्हारा सर्वनाश् तय है तुम्हे नर्क जाने से कोई भी नही रोक सकता, ।

इसलिए इस मनुष्य भव को सार्थक करो ,सत्कर्म करो ,दया, धर्म, दान, मानवता, करुणा,अहिंसा जैसे गुण अपने अंदर लाओ ताकि तुम्हारा मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो सके और सदगति को प्राप्त हो सको।

छोटी बाजार स्थित जैन चेत्यालय मे शुक्रवार रात्रि विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए जिसमें बच्चों ने महिलाओं ने और पुरुष वर्ग ने भाग और नृत्य व नाटक के माध्यम से गुरु तरण स्वामी एवं धर्म पर प्रकाश डाला इस अवसर पर सैकड़ो की तादाद में जैन अनुयाई उपस्थित रहे

