November 22, 2025

हाईकोर्ट ने वकील के ‘फर्जी’ होने के मामले में हस्ताक्षर की एफएसएल जांच कराने की दिए आदेश

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हाईकोर्ट ने वकील के ‘फर्जी’ होने के मामले में हस्ताक्षर की एफएसएल जांच कराने की दिए आदेश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका में शामिल एक वकील की पहचान और दस्तावेजों पर लगे हस्ताक्षरों की सच्चाई जांचने के लिए फॉरेंसिक जांच का आदेश दिया गया

 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका में शामिल एक वकील की पहचान और दस्तावेजों पर लगे हस्ताक्षरों की सच्चाई जांचने के लिए फॉरेंसिक जांच का आदेश दिया है। मामला फतेह मेमोरियल इंटर कॉलेज, तमकुही, कुशीनगर के प्रबंधन समिति के चुनाव को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका का है।

याचिकाकर्ता संगीता गुप्ता ने वर्ष 2023 में हुए प्रबंधन समिति के चुनाव को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी। बाद में उन्होंने याचिका वापस लेने के लिए एक आवेदन दाखिल किया। इसी आवेदन को लेकर विवाद शुरू हुआ जब संस्थान की ओर से यह आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ने विपक्षी पक्ष के वकील श्री परिजात श्रीवास्तव के हस्ताक्षर नकली करके दिखाया कि उन्हें वापसी आवेदन की कॉपी मिल गई है।

**गंभीर आरोप: ‘अशरफ अली’ नाम का वकील फर्जी!*
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प्रतिवादी पक्ष (कॉलेज प्रबंधन) ने अदालत में एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता संगीता गुप्ता, उनके वकील अमित प्रताप सिंह और एक अन्य वकील अशरफ अली आपसी सांठगांठ से लगातार झूठे और दिखावटी मुकदमे दाखिल कर रहे हैं। आरोप है कि ‘अशरफ अली’ नाम का वकील वास्तव में अमित प्रताप सिंह द्वारा गढ़ी गई एक काल्पनिक पहचान है। दोनों के पते और मोबाइल नंबर एक ही बताए गए हैं।
अदालत के कई आदेशों में इस बात का जिक्र है कि पिछली सुनवाइयों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘अशरफ अली’ के नाम से कोई शख्स हाजिर हुआ, लेकिन बाद में एक अलग व्यक्ति ने स्वयं को अशरफ अली बताते हुए अदालत में पेश होने का दावा किया। इस उलझन के बाद कोर्ट ने 20 अगस्त के आदेश में उस व्यक्ति से, जो स्वयं को अशरफ अली बता रहा था, बेंच सचिव के सामने हस्ताक्षर करने को कहा था।
खंड पीठ ने देखा कि याचिका पर ए अली के रूप में, वापसी आवेदन पर, कोर्ट के आर्डर शीट पर और कूरियर रसीद पर लगे ‘अशरफ अली’ के हस्ताक्षर एक-दूसरे से स्पष्ट रूप से भिन्न हैं। इन गंभीर आरोपों – जिसमें जालसाजी, साजिश और अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग शामिल है – को देखते हुए पीठ ने फैसला किया कि हस्ताक्षरों की वैधता की वैज्ञानिक जांच जरूरी है।
कोर्ट ने मामले की सभी संबंधित मूल दस्तावेज (मूल याचिका, वापसी आवेदन, आर्डर शीट वाला पन्ना और विपक्षी वकील का वकालतनामा) लखनऊ स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) भेजे जाएंगे।
एफएसएल से यह पता करने को कहा गया है कि क्या सभी दस्तावेजों पर एक ही व्यक्ति ने हस्ताक्षर किए हैं और क्या वकील परिजात श्रीवास्तव के हस्ताक्षर असली हैं या नकली।
एफएसएल को एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को देने के निर्देश दिए गए हैं।

इस जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अदालत आगे की कार्रवाई करेगी। अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2026 को होगी।

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